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ममता बनर्जी के साथ चर्चा कर हड़ताल खत्म करना चाहते हैं जूनियर डॉक्टर Kolkata News

Junior doctors strike in Bengal. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अपील के बाद भी डॉक्टरों की हड़ताल का समाधान नहीं निकला।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 16 Jun 2019 01:00 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jun 2019 04:50 PM (IST)
ममता बनर्जी के साथ चर्चा कर हड़ताल खत्म करना चाहते हैं जूनियर डॉक्टर Kolkata News
ममता बनर्जी के साथ चर्चा कर हड़ताल खत्म करना चाहते हैं जूनियर डॉक्टर Kolkata News

कोलकाता, जेएनएन। पश्चिम बंगाल में छठे दिन रविवार को भी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। हड़ताल के चलते मरीज परेशान है। विभिन्न ओपीडी बंद होने से लाखों मरीज प्रभावित हैं। पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों की हड़ताल का असर देशभर में दिखाई दे रहा है। सिर्फ पश्चिम बंगाल ही नहीं दिल्ली के एम्स समेत 18 बड़े अस्पतालों के डॉक्टर भी हड़ताल पर हैं।

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अपील के बाद भी डॉक्टरों की हड़ताल का समाधान नहीं निकला और हड़ताली डॉक्टर अपने रुख पर अड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों को चिट्ठी लिखकर हड़ताल खत्म करने की अपील की तो जवाब में डॉक्टरों ने अपनी मांगों की नई लिस्ट जारी की है।  

इस बीच, एनआर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हम सीएम ममता बनर्जी के साथ चर्चा करके इस गतिरोध का तत्काल अंत करना चाहते हैं। डॉक्टरों ने कहा कि सीएम स्थल का चयन करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन बैठक खुले में होनी चाहिए।

सरकार ने मानी आंदोलनकारी डॉक्टरों की सभी मांगें, काम पर लौटने की अपील
नीलरतन सरकार (एनआरएस) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के विरोध में शनिवार को पांचवें दिन भी हड़ताल जारी रही। चिकित्सा के अभाव में एक और बच्चे की मौत हो गई। उपचार नहीं मिलने से अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरी ओर, लगातार चरमरा रही राज्य की स्वास्थ्य सेवा को पटरी पर लाने के लिए राज्य प्रशासन व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूरे दिन भरपूर प्रयास किया। हड़ताली चिकित्सकों के सामने झुकते हुए उनकी सभी मांगें पूरी करने का लिखित आश्वासन भी दिया। फिर भी हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टर तत्काल मानने को तैयार नहीं हुए। लंबी बैठक के बाद ममता बनर्जी ने हड़ताल पर गए डॉक्टरों की सभी मांगों को मानते हुए उनसे फिर से काम लौटने की अपील की। इससे पहले मुख्य सचिव मलय दे ने नोटिस जारी कर उनकी 10 सूत्री मांगें पूरी करने की बात कही।

शनिवार को राज्य सचिवालय नवान्न में संवाददाता सम्मेलन कर ममता ने एनआरएस में डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कार्रवाई जारी है। पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उनके खिलाफ गैर जमानती धाराओं में मामले दर्जकिया गया है। हमारी सरकार मामला सुलझाने को हर संभव प्रयास कर रही है। हमने डॉक्टरों से बात करने की कोशिश की लेकिन वादे के बावजूद डॉक्टर बैठक में नहीं आए। इस हड़ताल की वजह से गरीबों का इलाज नहीं हो पा रहा है। लोग मर रहे हैं। देश-विदेश से आए हजारों-लाखों मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। कम से कम अस्पताल जैसी इमरजेंसी सेवाएं जारी रखनी चाहिए।

इस बीच, राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने शनिवार को एक बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म कराने को कदम उठाने की सलाह दी। उन्होंने ममता बनर्जी को सलाह दी कि अगर जूनियर डॉक्टरों से बातचीत भी करनी पड़े तो वे करें और अविलंब हड़ताल समाप्त करवाने की पहल करें। मुख्यमंत्री ने जूनियर डाक्टरों की सभी शर्ते मान ली और उन्हें काम पर लौटने की अपील की लेकिन आंदोलनरत डॉक्टर अपने रुख पर कायम है। उन्होंने साफ कर दिया कि जब तक मुख्यमंत्री एनआरएस अस्पताल आकर उनसे बातचीत नहीं करतीं, उन्हें सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं करतीं और सार्वजनिक तौर पर माफी नहीं मांगतीं तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

उधर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष व तृणमूल के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन भी एनआरएस पहुंचे और आंदोलनकारी डॉक्टरों को समझाने की कोशिश की। साथ ही उन्होंने ममता के उस बयान का भी समर्थन किया, जिसमें इस आंदोलन में बाहरी लोगों का हाथ होने की बात कही गई। वहीं एम्स के रजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने ममता सरकार को 48 घंटे की मोहलत देते हुए कहा है कि हड़ताल खत्म कराए नहीं तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। वहीं, शनिवार को भी दिल्ली समेत कई राज्यों में चिकित्सकों ने समर्थन में काम बंदकर विरोध प्रदर्शन किया।

हम राज्य में एस्मा एक्ट लागू नहीं करना चाहते : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने हड़ताली जूनियर डॉक्टरों की ओर इशारा करते हुए कहा-'हम राज्य में आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम (एस्मा) लागू करना नहीं चाहते हैं। न ही कानून का इस्तेमाल कर किसी का लाइसेंस रद करना चाह रहे हैं।' उन्होंने उदाहरण दिया कि 2008 में ओडिशा, 2015 में गुजरात, 2016 व 2017 में राजस्थान और 2018 में जम्मू-कश्मीर और मणिपुर में डॉक्टरों ने हड़ताल की थी। तब वहां की सरकारों ने एस्मा लगाकर हड़ताल खत्म करा दी थी। यही नहीं, गुजरात में डॉक्टरों को गिरफ्तार भी किया गया था। ये सभी राज्य भाजपा शासित हैं। हम बंगाल में ऐसा करना नहीं चाहते हैं क्योंकि हम नहीं चाहते कि किसी भी मेडिकल छात्र-छात्रा के करियर में गिरफ्तारी का काला दाग लगे। जो भी अब तक हुआ, उसे भी सरकार भूलने को तैयार है। बस चिकित्सक हठ और हड़ताल छोड़कर वापस काम पर लौट आएं।

पांच घंटे इंतजार किया, फिर भी बातचीत करने नहीं आए जूनियर डॉक्टर
ममता ने कहा-'हमने डॉक्टरों की सभी मांगें मान ली हैं। मैंने शुक्रवार को राज्य सचिवालय में पांच घंटे डॉक्टरों का इंतजार किया। शनिवार को भी अपने मंत्रियों और मुख्य सचिव को डॉक्टरों से मिलने के लिए भेजा था लेकिन वे नहीं आए। उन्होंने हड़ताली डॉक्टरों को नसीहत देते हुए कहा कि आपको संवैधानिक संस्था को सम्मान देना होगा। मुझसे एसएसकेएम अस्पताल में बदतमीजी की गई थी। अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया। धक्का तक दिया गया लेकिन हमने एक भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया। हम किसी तरह का बल प्रयोग नहीं करेंगे। स्वास्थ्य सेवाएं इस तरह जारी नहीं रह सकतीं। मैं कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करने जा रही हूं।'

घायल डॉक्टर के इलाज का सारा खर्च उठाएगी सरकार
राज्य सरकार ने निजी अस्पताल में भर्ती घायल जूनियर डॉक्टर परिबाह मुखर्जी के उपचार का सारा खर्च वहन करने का निर्णय लिया है।

सामूहिक इस्तीफे का कोई मतलब नहीं
जूनियर डॉक्टरों पर हमले को लेकर पिछले पांच दिनों से जारी हड़ताल के बीच राज्यभर के 750 से अधिक चिकित्सकों के सामूहिक इस्तीफा को पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि कानूनन सामूहिक इस्तीफे का कोई मतलब नहीं होता है।

एमएमसीएच में संकट गहराया, 26 हुई इस्तीफा देने वाले चिकित्सकों की संख्या
खड़गपुर : पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में अराजक अवस्था का संकट दिनोंदिन गहराता जा रहा है। शनिवार को संस्थान के 10 चिकित्सकों ने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन रविवार की सुबह तक यह संख्या 26 जा पहुंची। जिससे अनिश्चतता और बढ़ गई। हालांकि रविवार सूचना प्रेषण तक संस्थान में किसी प्रकार की गड़बड़ी की कोई बड़ी घटना नहीं हुई थी। पुलिस फोर्स परिसर में तैनात रह कर घटनाक्रम पर नजर रखे हुए थे।

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