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International Yoga Day 2019: जीवन का अभिन्‍न अंग है योग, योग का अभ्यास हमारे मन को संयमी बनाता है

International Yoga Day 2019 योग का अभ्यास हमारे मन को संयमी बनाता है। गीता में भी श्रीकृष्ण ने कहा है कि योग कर्मसु कौशलम यानी योग से कर्मों में कुशलता आती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 11:28 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 07:57 AM (IST)
International Yoga Day 2019: जीवन का अभिन्‍न अंग है योग, योग का अभ्यास हमारे मन को संयमी बनाता है
International Yoga Day 2019: जीवन का अभिन्‍न अंग है योग, योग का अभ्यास हमारे मन को संयमी बनाता है

नई दिल्‍ली, प्रीति झा।  ‘जो अगर करोगे योग तो रहोगे निरोग ’ सदियों पुराने इस चरितार्थ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक आयाम दे एक स्‍पेशल दिन के रूप में मनाने की घोषणा कर दी है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस दुनियाभर के देशों में 21 जून को मनाया जाता है। 21 जून को योग दिवस मनाने का विचार सर्वप्रथम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने एक भाषण के दौरान प्रस्तावित किया था। उन्होंने इस दिन योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखते हुए कहा था कि उत्तरी गोलार्ध में 21 जून वर्ष का सबसे बड़ा दिन होता है। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा की।

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संयुक्त राष्ट्र के इस घोषणा के बाद वर्ष 2015 से हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। 177 से अधिक देशों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का समर्थन किया। प्रधानमंत्री के इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 90 दिनों से भी कम समय में पारित कर दिया जो संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतिहास में पहली बार हुआ। आयुष मंत्रालय एवं भारत सरकार इसकी नोडल एजेंसी है और यह दोनों मिलकर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करती हैं।

21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। पहले यह दिवस जनसाधरण के बीच ही मनाया जाता था। अब योग का दायरा बढ़ रहा है। इस बार अर्द्धसैनिक बलों जैसे सीआईएसएफ, पीएसी आदि के बीच भी यह दिवस आयोजित किया जाएगा। ‘नमो गंगे’ इसकी अगुवाई करेगा।

क्‍या है योग
योग मन, मस्तिष्क एवं शरीर का एक अभ्यास है। योग की विभिन्न शैलियां होती हैं जिनमें शारीरिक मुद्राएं, सांस लेने की टेक्निक और मेडिटेशन एवं रिलैक्सेशन आदि शामिल है। योग  यह सिर्फ व्यायाम भर नहीं है, बल्कि विज्ञान पर आधारित शारीरिक क्रिया है। इसमें मस्तिष्क, शरीर और आत्मा का एक-दूसरे से मिलन होता है। साथ ही मानव और प्रकृति के बीच एक सामंजस्य कायम होता है। यह जीवन को सही प्रकार से जीने का एक मार्ग है। गीता में भी श्रीकृष्ण ने कहा है कि योग: कर्मसु कौशलम यानी योग से कर्मों में कुशलता आती है। योग शब्द संस्कृत भाषा के युज से लिया गया है जिसका अर्थ है एक साथ जुड़ना। मन-मस्तिष्क एवं शरीर पर नियंत्रण रखने एवं खुशहाल जीवन के लिए योग काफी लोकप्रिय है। देखा जाए तो योग प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है लेकिन पिछले कुछ सालों से यह बहुत अधिक लोकप्रिय हो गया है। योग और ध्यान को अध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से हमारे शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए अनिवार्य माना गया है। योग के माध्यम से मस्तिष्क और शरीर का संगम होता है। योग का अभ्यास हमारे मन को संयमी बनाता है।  

योग का महत्व
आपके मन में एक प्रश्न बार-बार आता होगा की हम योग क्यों करें? जबकि हमें तो मानसिक और शारीरिक रूप से भी कोई समस्या भी नहीं हैं। जब हमारे पास समय ही नहीं हैं और हम स्वस्थ भी है तो फिर हमें योग की क्या आवश्यकता है। इस क्यों को दूर करने को जीवन में योग का महत्व समझाना होगा। 

योग हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे मन को भी स्वस्थ रखता है। योग से आनंद की अनुभूति होती है जैसे एक तरफ सुख और दूसरी तरफ दुःख होता है जबकि आनंद सुख से भी ऊपर होता है। जब पहली बार योग करते है तब समझ में आता है आनंद क्या होता है। उस आनंद की अनुभूति ना भोग में, ना संभोग में और ना ही अन्य किसी क्षणिक सुखों में है।

जीवन में योग का महत्व और लाभ
योग शब्द के दो अर्थ बताये गये हैं और दोनों ही अर्थ जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। पहला अर्थ है- जोड़ और दूसरा अर्थ है- समाधि (ध्यान)। जब तक हम अपने शरीर को योग कला से नहीं जोड़ते, ध्यान तक जाना असंभव हैं। ऊपर हमने जिस आनंद की चर्चा की उसकी सीढ़ी योग के दूसरे अर्थ ध्यान से शुरू होती है। ध्यान योग का अतिमहत्वपूर्ण भाग है। ध्यान के माध्यम से शरीर और मस्तिष्क का संगम होता है। आज के समय में जीवनयापन के लिए दिन-रात भाग-दौड़, काम का प्रेशर, रिश्तो में अविश्वास और दूरी आदि के कारण तनाव बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे माहौल में मेडिटेशन से बेहतर और कोई विकल्प नहीं है। ध्यान से मानसिक तनाव दूर होता है और मन को गहन आत्मिक शांति महसूस होती है जिससे कार्य शक्ति में वृद्धि होती है, नींद अच्छी आती है, मन की एकाग्रता एवं धारणा शक्ति बढती है।

आइये योग के पहले अर्थ को समझे। योग सभी के लिए जरूरी है। योग दर्शन और धर्म से परे है और गणित से कुछ ज्यादा है। योग भारत की देन है विश्व को। पूरा विश्व इस कारण से भारत को विश्वगुरु मानता है और योग को अपना रहा है। 

योग से मानसिक व शारीरिक परेशानी होंंगे दूर
अष्टांग योग, प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण), धारणा (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन), समाधि (से मुक्ति या परमात्मा से मिलन), ज्ञान योग, कर्म योग, भक्ति योग, हठ योग,  कुंडलिनी/लय योग, इन  सारे योगों से हमारी मानसिक व शारीरिक सभी परेशानी दूर हो सकते हैं। इसके नियमित अभ्‍यास से ना केवल सभी प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं बल्कि नियमित योग करने से शरीर मजबूत भी होता हैं। सुबह दैनिक कार्य के पश्चात खुली हवा में बैठकर नियमित 20-30 मिनट योगा करने से शरीर सुन्दर और चुस्त-दुरुस्त बनता है। योग से मन को शांति मिलती है जिससे रक्त संचार ठीक रहता है और हृदय भी स्वस्थ रहता है।

1. शरीर लचीला व मजबूत बनाता – जिम में आप किसी खास अंग का ही व्यायाम कर पाते है जबकि योग से शरीर के संपूर्ण अंग प्रत्यंगों, ग्रंथियों का व्यायाम होता है। जिस वजह से हमारे सारे अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते है क्योंकि योग से हमारे शरीर के अंगों को बल मिलता है जिससे हमारा शरीर दिन-प्रतिदिन लचीला और मजबूत होता जाता है।

2. तरो-ताजा और स्फूर्ति– नियमित योग से आप खुद को प्रकृति के नजदीक महसूस करते हैं जिससे आप पूरे दिन तरोताजा और स्फूर्ति महसूस करते है। मानसिक तौर पर भी आप शांत रहेंगे जिससे तनाव भी दूर होगा।

3. मन को रखे शांत – जब मन-मस्तिष्क शांत होंगे तो तनाव भी दूर होगा। नियमित योग आसनों और ध्यान से मस्तिष्क शांत होता है और शरीर संतुलित रहता है। योग से दिमाग के दोनों हिस्से दुरुस्त काम करते है जिससे आंतरिक संचार ठीक होता है। नियमित योग से सोचने की क्षमता और सृजनात्मकता वाले हिस्सों में संतुलन बढ़ता है। इससे बुद्धि तेज और शार्प होती है साथ ही आत्मनियंत्रण की शक्ति में भी तेजी से वृद्धि होती है।

4. रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती– योगाभ्यास से चेहरे पर चमक आती है। शरीर में दिन-प्रतिदिन रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती हैं। बुढ़ापे में भी स्वस्थ बने रहते हैं। शरीर निरोग, बलवान और स्वस्थ बनता है।

5. तनाव से रखे दूर – योग के नित्य अभ्यास से मांसपेशियों की अच्छी कसरत होती है। जिस कारण तनाव दूर होता है, ब्लड प्रेशर-कॉलस्ट्रॉल कंट्रोल होता है, नींद अच्छी आती है, भूख भी अच्छी लगती है और पाचन भी सही रहता है। इसके नियमित अभ्यास से तनाव धीरे-धीरे पूर्णरूप से खत्म हो जाता है।

6. दर्द और मोटापा से दूर– योग से शरीर फ्लेक्सिबल होता है और शरीर को शक्ति मिलती है। इसके नियमित अभ्यास से पीठ, कमर, गर्दन, जोड़ों के दर्द की समस्या तो दूर होती ही है साथ ही योग आपके शरीर की खराब मुद्रा की संरचना को ठीक करता है जिससे भविष्य में होने वाले दर्द से बचा जा सकता है। नियमित योगा से शरीर की कैलोरी बर्न होती है और मोटापा घटते जाता है जिससे शरीर का वजन नियंत्रित रहता है।

7. रोग से दूर – योग से श्वास की गति पर नियंत्रण बढ़ता है जिससे श्वास सम्बन्धित रोगों में बहुत लाभ मिलता है जैसे दमा, एलर्जी, साइनोसाइटिस, पुराना नजला, सर्दी-जुकाम आदि रोगों में तो योग का ही अंग प्राणायाम बहुत फायदेमंद है। ऐसे आसन जिनमें कुछ समय के लिये सांस को रोक कर रखा जाता है। जो हृदय, फेफड़े और धमनियों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। ऐसे आसन आपके दिल को फिट रखते हैं। इससे फेफड़ों को ऑक्सीजन लेने की क्षमता बढ़ती है जिससे शरीर की कोशिकाओं को ज्यादा ऑक्सीजन मिलता है। जिससे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

8. रक्त-संचार सही करता– विभिन्न प्रकार के योग और प्राणायाम से शरीर में रक्त का प्रभाव ठीक होता है। नित्य योग से मधुमेह का लेवल घटता है। यह बैड कोलेस्ट्रोल को कम करता है इस कारण मधुमेह के रोगियों के लिए योगा बेहद आवश्यक है। सही रक्त-संचार से शरीर को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का संवहन अच्छा होता है जिससे त्वचा और आन्तरिक अंग स्वस्थ बनते हैं।

9.प्रेगनेंसी में लाभ – गर्भावस्‍था के दौरान नियमित योगा करने से शरीर स्वस्थ रहता है। शरीर से थकान और तनाव दूर होता है जो माँ और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। गर्भावस्‍था में होने वाली कोई भी समस्या जैसे- पीठ दर्द, कमर दर्द, पैरों में खिचाव, नींद ना आना, चिड़चिड़ापन, अपच, श्वास संबंधित सभी समस्यायों से मुक्ति मिल जाती है। गर्भावस्‍था के दौरान किस महीने में कौन-कौन से योगा कर सकते है इसकी सलाह अपने चिकित्सक से जरूर ले और योगा एक्सपर्ट की निगरानी में ही योगा करें।

 10. मासिक धर्म में – योग के नित्य अभ्यास से मासिक धर्म में होने वाली पीड़ा से महिलाओं को मुक्ति मिलती है। पीरियड में नियमितता रहती है, शरीर में इस दौरान आलस, घबराहट, चक्कर आना जैसी समस्याओं से भी निजात मिलती है। शरीर में फुर्ती और चुस्ती बनी रहती है।

11. रक्त प्रवाह : जब शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है, तो सभी अंग बेहतर तरीके से काम करते हैं। साथ ही शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहता है। रक्त प्रवाह के असंतुलित होते ही शरीर कई तरह की बीमारियों का शिकार होने लगता है, जैसे – ह्रदय संबंधी रोग, खराब लिवर, मस्तिष्क का ठीक से काम न करना आदि। ऐसे में योग करने से रक्त का प्रवाह अच्छी तरह होता है। इससे सभी अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं।

12. संतुलित रक्तचाप : गलत जीवनशैली के कारण कई लोगों रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे हैं। अगर आपको भी रक्तचाप से जुड़ी कोई परेशानी है, तो आज से ही किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में योग करना शुरू कर दें। योग का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि प्राणायाम करने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा मिलती है और तंत्रिकाओं की कार्यप्रणाली बेहतर होती है। साथ ही ह्रदय गति सामान्य होती है।

13. बेहतर श्वसन प्रणाली : श्वसन प्रणाली में आया कोई भी विकार हमें बीमार करने के लिए काफी है। ऐसे में योग हमें बताता है कि जीवन में सांस का क्या महत्व है, क्योंकि हर योगासन सांसों पर ही आधारित है। जब आप योग करते हैं, तो फेफड़े पूरी क्षमता के साथ काम करने लगते हैं, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है।

14. गैस से छुटकारा : योग के लाभ में गैस से छुटकारा पाना भी है। गैस की समस्या किसी को भी हो सकती है। इसमें बच्चे, बुढ़े, महिला, पुरुष सभी शामिल हैं। यह समस्या मुख्य रूप से पाचन तंत्र के ठीक से काम न करने के कारण होती है। इसे ठीक करने के लिए योग बेहतरीन उपाय है। योग पाचन तंत्र को बेहतर करता है, जिससे कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं जड़ से खत्म हो सकती हैं।

15. दर्द सहने की क्षमता : शरीर में कहीं भी और कभी भी दर्द हो सकता है। खासकर, जोड़ों में दर्द को सहना मुश्किल हो जाता है। वहीं, जब आप योग करते हैं, तो शुरुआत में इस दर्द को सहने की शारीरिक क्षमता बढ़ने लगती है। साथ ही नियमित अभ्यास के बाद यह दर्द कम होने लगता है।

16. प्रतिरोधक क्षमता : बीमारियों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का बेहतर होना जरूरी है। प्रतिरोधक प्रणाली के कमजोर होने से शरीर विभिन्न रोग का आसानी से शिकार बन जाता है। आप चाहे स्वस्थ हैं या नहीं हैं, दोनों ही स्थिति में योग करना फायदे का सौदा साबित होगा। योग से प्रतिरोधक प्रणाली बेहतर होती है।

17. नई ऊर्जा : जीवन को सकारात्मक तरीके से जीने और काम करने के लिए शरीर में ऊर्जा का बना रहना जरूरी है। इसमें योग आपकी मदद करता है। योग को करने से थकावट दूर होती है और शरीर नई ऊर्जा से भर जाता है।

18. बेहतर मेटाबॉलिज्म : हमारे शरीर के लिए मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया जरूरी है। इस प्रक्रिया से ही शरीर को भोजन के जरिए ऊर्जा मिलती है, जिससे हम अपने दिनभर के काम कर पाते हैं। जब पाचन तंत्र, लिवर और किडनी अच्छी तरह काम करते हैं, तो मेटाबॉलिज्म भी ठीक से काम करता है। इस अवस्था में योग का लाभ इसलिए है, क्योंकि योग के जरिए अपच और कब्ज को ठीक कर मेटाबॉलिज्म को बेहतर किया जा सकता है।

19. नींद : दिनभर काम करने के बाद रात को अच्छी नींद लेना जरूरी है। इससे शरीर को अगले दिन फिर से काम करने के लिए तैयार होने में मदद मिलती है। पर्याप्त नींद न लेने पर दिनभर बेचैनी, सिरदर्द, आंखों में जलन और तनाव रहता है। चेहरे पर भी रोनक नजर नहीं आती। वहीं, अगर आप नियमित योग करते हैं, तो मन शांत होता है और तनाव से छुटकारा मिलता है, जिससे रात को अच्छी नींद सोने में मदद मिलती है।

20. संतुलित कोलेस्ट्रॉल : जैसा कि हमने पहले भी बताया था कि योग करने से शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। इससे नसों में रक्त का थक्के नहीं बन पाते और अतिरिक्त चर्बी भी साफ हो जाती है। यही कारण है कि कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है। योग एचडीएल यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है, जबकि एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को खत्म करता है।

21. माइग्रेन : अगर माइग्रेन का मरीज योग करता है, तो उसे सिर में होने वाले दर्द से राहत मिल सकती है। योग मांसपेशियों में आए खिंचाव को कम करता है और सिर तक पर्याप्त में ऑक्सीजन पहुंचती है, जिससे माइग्रेन में राहत मिलती है।

22. ब्रोंकाइटिस : मुंह, नाक और फेफड़ों को बीच हवा मार्ग को श्वास नली कहते हैं। जब इसमें सूजन आ जाती है, तो सांस लेना मुश्किल हो जाता है। चिकित्सीय भाषा में इस अवस्था को ब्रोंकाइटिस कहा जाता है। योग इस सूजन को दूर कर सांस लेने में आपकी मदद करता है। योग के जरिए फेफड़ों से ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में होती है। साथ ही फेफड़ों में नई ऊर्जा का संचार होता है।

23. कब्ज : यह ऐसी बीमारी है, जो अन्य बीमारियों के होने का कारण बनती है। पाचन तंत्र में समस्या आने पर कब्ज होती है। इसे ठीक करने के लिए दवाइयों से बेहतर योग है। योग के जरिए कब्ज जड़ से खत्म हो सकती है। योग सबसे पहले पाचन तंत्र को ठीक करेगा, जिससे कब्ज अपने आप ठीक हो जाएगी और आप तरोताजा महसूस करेंगे।

24. बांझपन व रजोनिवृत्ति : अगर कोई प्रजनन क्षमता को बेहतर करना चाहता है, तो इसके लिए भी योग के आसन का वर्णन किया गया है। योग के जरिए शुक्राणु कम बनने की समस्या, यौन संबंधी कोई समस्या, फैलोपियन ट्यूब में आई कोई रुकावट या फिर पीसीओडी समस्या को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा, रजोनिवृत्ति से पहले और उस दौरान नजर आने वाले नकारात्मक लक्षणों को भी योग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।

25. साइनस व अन्य एलर्जी : साइनस के कारण नाक के आसपास की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है। इससे सांस लेने में परेशानी होती है। इस समस्या के लिए भी योग हर लिहाज से बेहतर है। साइनस में सांस संबंधी योग यानी प्राणायाम करने से नाक व गले की नलियां में आई रुकावट दूर होती है और सांस लेना आसान हो जाता है। इसके अलावा, अन्य प्रकार की एलर्जी को भी योग से ठीक किया जा सकता है।

26. कमर दर्द : आजकल हमारा ज्यादा काम बैठकर होता है। इस वजह से किसी न किसी को कमद दर्द की शिकायत रहती है। अगर आप योग्य प्रशिक्षिक की निगरानी में योग करें, तो रीढ़ की हड्डी में लचक आती है, जिससे किसी भी तरह का दर्द दूर किया जा सकता है।

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