राज्य के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा व रोजगार के अवसर बढ़ाने के मंतव्य से 34 बंगलों को निजी हाथों में सौंपेगी ममता सरकार
फैसला-आर्थिक तंगी के कारण इन सरकारी बंगलों का ठीक तरीके से रखरखाव नहीं हो पा रहा । पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर बढ़ाने की कवायदद। जिन बंगलों को निजी क्षेत्र को सौंपने की तैयारी चल रही है बंगाल के दार्जिलिंग जलपाईगुड़ी बांकुड़ा और पुरुलिया जिलों में हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : मोदी सरकार की निजीकरण नीतियों का हमेशा जोरदार विरोध करने वाली ममता सरकार अब खुद इसी राह पर चल पड़ी है। राज्य के वन विभाग ने अपने 34 बंगलों को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय किया है। सूत्रों से पता चला है कि आर्थिक तंगी के कारण इन सरकारी बंगलों का ठीक तरीके से रखरखाव नहीं हो पा रहा है। इससे राज्य सरकार को पर्यटन के लिहाज से भी काफी नुकसान हो रहा है।
दार्जिलिंग जलपाईगुड़ी, बांकुड़ा और पुरुलिया जिलों में स्थित
वन विभाग के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि इन बंगलों को निजी हाथों में सौंपने से न केवल राज्य के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा बल्कि रोजगार के अवसर भी तेजी से बढ़ेंगे। जिन बंगलों को निजी क्षेत्र को सौंपने की तैयारी चल रही है, वे बंगाल के दार्जिलिंग जलपाईगुड़ी, बांकुड़ा और पुरुलिया जिलों में स्थित हैं।
वन विभाग के अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक हुई थी
जानकारी अनुसार गत 5 अक्टूबर को वन विभाग के अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। जिन बंगलों का निजीकरण किया जाएगा, उनमें दार्जिलिंग का मानेभंजन ट्रैकर्स हाट, जलपाईगुड़ी का नेवड़ा कैंप, जलपाईगुड़ी-लाटागुड़ी का मूर्ति टेंट्स, बांकुड़ा का इको टूरिज्म सेंटर और पुरुलिया का माथा ट्री हाउस के नाम उल्लेखनीय हैं।