Intolerance: असहिष्णुता पर बुद्धिजीवियों ने पीएम मोदी को लिखा खुला पत्र Kolkata News
Intolerance. बंगाल में 49 बुद्धिजीवियों ने पीएम नरेंद्र मोदी के नाम असहिष्णुता को लेकर खुला पत्र लिखा है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। अभिनेता-अभिनेत्री, फिल्मकार, सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहासकार, समेत विभिन्न क्षेत्रों के 49 बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम असहिष्णुता को लेकर खुला पत्र लिखा है, जिसमें दलित व अल्पसंख्यकों के प्रति बढ़ती हिंसा पर प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की गई है।
पत्र में मॉब लिंचिंग के दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई है। इसमें कहा गया-'अफसोस की बात है कि जय श्रीराम का आज उकसाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक भड़काऊ नारा बन गया है। भारत में अल्पसंख्यक समुदायों को राम के नाम पर डराया जा रहा है। राम की अवमानना करने पर रोक लगाने की जरूरत है।'
पत्र में दावा किया गया कि 29 अक्टूबर, 2018 से जनवरी, 2019 के दौरान देश में 254 से ज्यादा धार्मिक पहचान पर आधारित नफरत वाले अपराध दर्ज किए गए हैं। पत्र में पूछा गया है कि इन मामलों के दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है?'
पत्र में मशहूर फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल, अदूर गोपालकृष्णन, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम, अनुराग कश्यप, अपर्णा सेन, विनायक सेन, सौमित्र चटर्जी, गौतम घोष, कौशिक सेन, कोंकणा सेनशर्मा समेत कुल 49 हस्तियों के नाम हैं।
हालात को देखते हुए पीएम को पत्र लिखा गया: अपर्णा सेन
इस मुद्दे पर फिल्मकार व अभिनेत्री अपर्णा सेन ने कहा कि देश में दलित व अल्पसंख्यक समुदायों को जय श्रीराम के नाम पर जारी हिंसा व सामूहिक पिटाई का शिकार होना पड़ रहा है। ऐसे में अगर समय रहते इस तरह की अपराध पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो आगे स्थिति और भयावह हो सकती है। बंगाल में भारी संख्या में राजनीतिक हिंसा की चपेट में आने से लोगों की जानें गई हैं और इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता। ऐसे में इस गंभीर समस्या की रोकथाम के बाबत समाज के विशिष्ट जनों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर समस्या से अवगत कराने की कोशिश की गई है। उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में विरोध करने वालों को अगर देशद्रोही करार दिया जाता है तो यह संविधान के विपरीत है क्योंकि संविधान में साफ लिखा है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, फिर इस तरह के अपराध को भला कैसे स्वीकार किया जा सकता है?
उन्होंने कहा कि उक्त अपराध में दोषी पाए जाने वालों पर गैर-जमानती धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए। फिल्म निर्माता गौतम घोष ने कहा कि भारत अनेकता में एकता की मिसाल पेश करता है और ऐसे देश में किसी धर्म व जाति विशेष के लोगों को अगर जय श्रीराम के नाम पर मॉब लिंचिंग का शिकार होना पड़ता है तो यह अपने आप में शर्मसार करने वाला वाकया है। संविधान ने देश के हरेक नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी दी है और उन्हें पूरी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इस चिट्ठी पर संज्ञान लेने के साथ ही उक्त मामलों के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे। रंगमंच कर्मी व बांग्ला फिल्म अभिनेता कौशिक सेन ने कहा कि हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में मॉब लिंचिंग पर अपना पक्ष रखा था लेकिन वह काफी नहीं है।
जरूरत है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ पीड़ितों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। बंगाल में एक के बाद एक ऐसे कई मामले सामने हैं। प्रतिवादी को देशद्रोही करार नहीं दिया जा सकता। भारत का संविधान हरेक नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करता है और कोई भला संविधान से ऊपर कैसे हो सकता है? ज्यादातर मामलों में जय श्रीराम के उद्घोष को लेकर अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।