वर्षो बाद विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी फिशिंग कैट के जोड़े ने तीन बच्चों को दिया जन्म
बंगाल का राजकीय पशु फिशिंग कैट की तादाद दिन पर दिन घटती जा रही है। यह मुख्यत: दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में पाई जाती है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। अथक प्रयास के बाद अलीपुर चिडि़याघर प्रबंधन ने विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी फिशिंग कैट यानी मछली पकड़ने वाली बिल्ली की संख्या बढ़ाने में वर्षो बाद सफलता हासिल की है। जानकारी के मुताबिक, अलीपुर चिडि़याघर में मौजूद फिशिंग कैट के दो जोड़े ने तीन बच्चों को जन्म दिया है।
बंगाल के राजकीय पशु फिशिंग कैट की संख्या में वर्षो बाद वृद्धि की खबर के बाद चिडि़याघर के अधिकारी व कर्मचारी बेहद खुश हैं। अलीपुर चिडि़याघर के निदेशक आशीष कुमार सामंत ने बताया कि तीन बच्चों के जन्म के बाद चिडि़याघर में फिशिंग कैट की संख्या बढ़कर सात हो गई है।
सामंत के अनुसार, हमें पता चला था कि चिडि़याघर में मौजूद फिशिंग कैट के दो जोड़े सार्वजनिक रूप से संभोग नहीं कर पा रहे हैं। इसके बाद हमने कुछ अलग करने की कोशिश की और एक वर्ष की अवधि के लिए दोनों जोड़े को लोगों की नजर से दूर एक अलग स्थान पर रखा। जिसका परिणाम है कि उन्होंने तीन बच्चे को जन्म दिया है। उन्होंने बताया, जन्म के बाद छह माह तक इन्हें मां के साथ रखा गया। हाल ही में इन्हें सार्वजनिक दृश्य में लाया गया है और आगंतुक भी इसे देखकर बेहद उत्साहित हैं। सामंत के अनुसार, संख्या में वृद्धि के बाद अब हम उन्हें यहां खुले में छोड़ने की योजना बना रहे हैं।
गौरतलब है कि बंगाल का राजकीय पशु फिशिंग कैट की तादाद दिन पर दिन घटती जा रही है। घरेलू बिल्लियों से दोगुनी आकार वाली यह बिल्ली मुख्यत: दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में पाई जाती है।
इधर, लगातार घटती आबादी को देखते हुए राज्य सरकार ने इसके संरक्षण के लिए पिछले कुछ सालों में कई कदम उठाए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, वनों के अंधाधुंध कटाई के कारण फिशिंग कैट से उसका आशियाना छीन लिया है।
इसके अलावा कृषि भूमि में कमी, मत्स्य पालन, अवैध शिकार और पशुधन मालिकों के साथ लगातार टकराव फिशिंग कैट की घटती संख्या के लिए अहम कारण हैं। फिशिंग कैट मुख्य रूप से सुंदरवन के कुछ क्षेत्रों में पाई जाती है।