कलकत्ता हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला- निजता का अधिकार व्यक्ति की मौत के साथ समाप्त नहीं होता
हाई कोर्ट ने कोलकाता पुलिस को निर्देश दिया कि वह रशिका जैन की ओर से उसकी मौत से पहले उसके दोस्त के साथ शेयर किए गए वाट्सएप मैसेजों और तस्वीरों को आरटीआइ अधिनियम के तहत निजी जानकारी के रूप में मानें।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। राइट टू प्राइवेसी यानी निजता के अधिकार को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाया कि निजता का अधिकार किसी व्यक्ति की मृत्यु के साथ समाप्त नहीं होता है। आरटीआइ अधिनियम के तहत मृत व्यक्ति के निजी चैट या फिर व्यक्तिगत तस्वीरों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने कोलकाता पुलिस को निर्देश दिया कि वह रशिका जैन की ओर से उसकी मौत से पहले उसके दोस्त के साथ शेयर किए गए वाट्सएप मैसेजों और तस्वीरों को आरटीआइ अधिनियम के तहत 'निजी जानकारी' के रूप में मानें।
रशिका जैन के माता-पिता की अर्जी पर हाई कोर्ट का फैसला
दरअसल, राशिका जैन की 2020 में कुश अग्रवाल के साथ शादी हुई थी, लेकिन एक साल बाद रहस्यमय परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई। उसके माता-पिता और ससुराल वालों ने एक-दूसरे के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। इस मामले में काफी हंगामे के बाद राशिका के पति कुशल को पिछले जुलाई में विशेष जांच टीम ने गिरफ्तार किया गया है। जांच रिपोर्ट में पुलिस ने शादी से पहले राशिका और उसके दोस्त के बीच वाट्सएप चैट का जिक्र किया। उसके ससुराल वालों ने बातचीत का ब्योरा मांगते हुए एक आरटीआइ आवेदन दायर किया। आरटीआइ अधिनियम के तहत पुलिस ने 2022 में इस जानकारी का खुलासा किया। इसके बाद राशिका के माता-पिता ने हाई कोर्ट का रुख किया।
प्राइवेट स्पेस का संरक्षण जरूरी
हाई कोर्ट ने कहा कि अधिनियम इस बात की पुष्टि करता है कि प्राइवेट स्पेस का संरक्षण जरूरी और वहां से निकलने वाली जानकारी का कोई भी खुलासा स्वैच्छिक और बिना बाध्यता के होने चाहिए। मृतकों का सम्मान करने की बाध्यता पर जोर देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि दायित्व एक उच्च नैतिक आधार मानता है क्योंकि मृतक अपने प्राइवेट स्पेस में इस तरह के किसी भी घुसपैठ के खिलाफ खुद का बचाव नहीं कर सकता है।