Move to Jagran APP

विदेश में भी बिखेर रहे रोशनी, रोशन किया अमिताभ से लेकर अंबानी तक का आशियाना

बंगाल के हुगली जिले का छोटा सा शहर चंदननगर। एक समय फ्रांसीसी उपनिवेश रहा चंदननगर आज अपनी जगद्धात्री पूजा व प्रकाश-सज्जा (लाइटिंग) के लिए देश-दुनिया में मशहूर है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 09:59 AM (IST)Updated: Mon, 30 Dec 2019 09:59 AM (IST)
विदेश में भी बिखेर रहे रोशनी, रोशन किया अमिताभ से लेकर अंबानी तक का आशियाना
विदेश में भी बिखेर रहे रोशनी, रोशन किया अमिताभ से लेकर अंबानी तक का आशियाना

कोलकाता, विनय कुमार। बंगाल के हुगली जिले का छोटा सा शहर चंदननगर। एक समय फ्रांसीसी उपनिवेश रहा चंदननगर आज अपनी जगद्धात्री पूजा व प्रकाश-सज्जा (लाइटिंग) के लिए देश-दुनिया में मशहूर है। यहां की बत्तियों से बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के आशियाना ‘जलसा’ से लेकर देश के जाने-माने उद्योगपति मुकेश अंबानी का गगनचुंबी आवास तक खास मौकों पर रोशन हो चुका है।

loksabha election banner

यही नहीं, बॉलीवुड की चर्चित अदाकारा प्रियंका चोपड़ा ने 2018 में जब जोधपुर में शादी रचाई थी, तब चंदननगर की बत्तियों से ही उम्मेद भवन पैलेस को दुल्हन की तरह सजाया गया था। यह अद्भुत जगमगाहट लाइट आर्टिस्ट सुप्रीम कुमार पाल उर्फ बाबू पाल के बूते ही संभव हो पाई थी। चंदननगर के लोगों के लिए उनके अपने बाबू दा। उन्होंने अपने बूते यह मुकाम बनाया और आज 40 लोगों को रोजगार मुहैया कर रहे हैं।

जब भी चंदननगर की बत्तियों की चर्चा होती है तो पहला नाम सुप्रीम कुमार पाल का ही आता है। बाबू पाल के वर्कशाप में तैयार बत्तियों का वाकई जवाब नहीं है, तभी तो देश-विदेश में इसकी आपूर्ति होती है। कोलकाता में दुर्गा पूजा से लेकर पार्क स्ट्रीट में क्रिसमस के मौके पर अद्भुत थीम वाली बत्तियों की जो जगमगाहट दिखती है, वह बाबू पाल की ही देन है।

2016 की दीपावली में बिग बी के घर में बिखेरी थी रोशनी:

58 साल के बाबू पाल ने बताया कि ‘मैंने 2016 की दीपावली में अमिताभ बच्चन के बंगले ‘जलसा’ को मांगलिक थीम से सजाया था। 2017 में मुकेश अंबानी के निवास स्थल ‘एंटीलिया’ के गलियारे की प्रकाश-सज्जा की। इसके बाद अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की शादी में भी बत्तियों की कारीगरी दिखाने का मौका मिला।’ उन्होंने आगे कहा ‘यह ऐसा काम है, जिसमें रचनात्मकता बहुत जरूरी है। बत्तियों से थीम तैयार करने पर काफी ध्यान देना पड़ता है। मेरी अपनी एक क्रिएटिव टीम है। हम किसी भी थीम पर काम शुरू करने से पहले काफी विचार-विमर्श करते हैं ताकि कुछ अलग किया जा सके।’

यूं आ गए प्रकाश-सज्जा की दुनिया में:

बाबू पाल का प्रकाश-सज्जा की दुनिया में आना महज संयोग था। उन्होंने बताया कि मेरी तीन पीढ़ी लोहा व्यवसाय से जुड़ी थी। मेरी अपने खानदानी कारोबार में दिलचस्पी नहीं थी। मैं कुछ नया करना चाहता था। मेरे एक मित्र ने इस पेशे से अवगत कराया। यह हुनर विरासत में नहीं मिला। इसे सीखने और इस क्षेत्र में कदम जमाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। शुरुआत में परेशानियां भी आईं लेकिन मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

रोशनी के शहर के ‘सुप्रीम’: चंदननगर के बोरो चापातल्ला इलाके के रहने वाले सुप्रीम कुमार पाल का घर के पास एक बीघा में फैला वर्कशाप है, जहां वह 40 लोगों की टीम के साथ काम करते हैं। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं। चंदननगर में 150 से अधिक पंजीकृत लाइट आर्टिस्ट हैं। यहां सालभर में लगभग 100 करोड़ रुपये का व्यवसाय होता है। बहुत कम लोगों को पता है कि पहले बरात में प्रयोग में लाए जाने वाली गैस लाइट की उत्पत्ति यहीं हुई थी।

विदेश में भी बिखेर रहे रोशनी

बाबू पाल की रोशनी का जलवा विदेश में भी है। 1998 में उन्हें दुबई में हुए शॉपिंग फेस्टिवल के लिए काम करने मौका मिला। उन्होंने वहां भारतीय संस्कृति की थीम पर प्रकाश-सज्जा की थी। इसी तरह इटली के दूतावास को भी आलोकित किया। दक्षिण अफ्रीका में भी काम किया है। अब केन्या से ऑफर मिला है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.