आईआईटी खड़गपुर ने बनाई विशेष सुई, दवा इंजेक्ट करने में नहीं होगा दर्द
आईआईटी खड़गपुर ने बनाई विशेष सुई इंसान बाल और एक सूक्ष्म पंप की तुलना में भी बहुत पतली है सुई शोधकर्ताओं ने भारत में पेटेंट के लिए भी किया है आवेदन।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने एक सूक्ष्म सुई (माइक्रो नीडल) विकसित की है, जो इंसान बाल और एक सूक्ष्म पंप की तुलना में भी बहुत पतली है। इस सुई से बिना दर्द के रोगियों में दवाओं को इंजेक्ट करने में मदद मिलेगी। शुक्रवार को आईआईटी खड़गपुर द्वारा जारी एक बयान में ये जानकारी दी गई है।
नीडल पंप को विकसित करने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल संचार इंजीनियरिंग विभाग के एक प्रोफेसर तरुण कांति भट्टाचार्य ने बताया कि 'हमने उच्च शक्ति वाले कांचयुक्त कार्बन सूक्ष्म सुइयों को गढ़ा है, जो त्वचा की प्रतिरोधक शक्ति का सामना कर सकती हैं। माइक्रो-पंप दवा के अणुओं की प्रवाह दर को नियंत्रित और सटीक तरीके से बढ़ाने में मदद करता है। नियंत्रित दवा वितर को प्राप्त करने के लिए हमने इस माइक्रो-सुई और माइक्रो-पंप को एकीकृत किया है'।
उन्होंने आगे बताया कि जबकि एक मानव बाल लगभग 50 - 70 माइक्रोमीटर मोटा होता है, वहीं सूक्ष्म सुई 55 माइक्रोमीटर मोटी होती है। परियोजना को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आर्थिक सहायता दी गई है। इस दवा वितरण उपकरण को चिकित्सा प्रोटोकॉल के अनुसार जानवरों के साथ सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। वहीं शोधकर्ताओं ने भारत में पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है।
दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने एक माइक्रो पंप और माइक्रो नीडल विकसित किया है जो ट्रांसडर्मल ड्रग सिस्टम के अभिन्न भाग हैं। यह दर्द रहित ट्रांसडर्मल दवा संयुक्त राज्य अमेरिका और कई अन्य देशों में दशकों से दवा इंजेक्ट करने की सफल कहानी रही है।
इसकी कार्यशैली की बात करें, तो सूक्ष्म सुइयों को त्वचा के माध्यम से दवा पहुंचाने वाले दबाव और नियंत्रित सूक्ष्म पंप के माध्यम से संचालित किया जाता है। माइक्रो-पंप माइक्रो-सुई के माध्यम से कोष में दवा को बाहर निकालता है। सूक्ष्म सुई दर्द रहित हैं क्योंकि वे त्वचा में नसों में जाती है जिससे उसका स्पर्श होने पर दर्द की प्रतिक्रिया नहीं उत्पन्न होती।