आइआइटी खड़गपुर- 'हड़प्पा के पतन का एक नदी के लुप्त होने की घटना का जुड़ाव'
भारतीय शोधकर्ताओं ने पहली बार हड़प्पा के पतन को हिमालय की बर्फ से ढकी एक नदी के लुप्त होने की घटना से जोड़ा है। वह नदी कभी कच्छ के रण के पास से होकर बहा करती थी।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। भारतीय शोधकर्ताओं ने पहली बार हड़प्पा के पतन को हिमालय की बर्फ से ढकी एक नदी के लुप्त होने की घटना से जोड़ा है। वह नदी कभी कच्छ के रण के पास से होकर बहा करती थी। इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) खड़गपुर की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि शोध दल ने उत्खनन कर पता किए गए सबसे बड़े सुंदर हड़प्पा शहर धोलावीरा के विकास व पतन को एक ऐसी नदी से जोड़ा है, जो पौराणिक हिमालयी नदी सरस्वती की तरह है।
शोध दल में आइआइटी खड़गपुर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, डेक्कन कॉलेज पीजीआरआइ पुणे, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला और गुजरात के संस्कृति विभाग के शोधकर्ता शामिल हैं। शोध में पता चला है कि रण के आसपास मैंग्रोव विकसित हुए थे। शोध दल की अगुआई करने वाले आइआइटी खड़गपुर के प्रोफेसर अनिंद्य सरकार ने कहा कि हिमाच्छादित नदी का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण मिला है, जो सरस्वती नदी के जैसी है और रण के पास बहती थी।
पीआरएल, अहमदाबाद से जुड़े डॉ. रवि भूषण और नवीन जुयाल ने हड़प्पा में मिले मानव कंगन के कार्बोनेट्स और 'फिश ओटोलिथ' की जांच के आधार पर कहा है कि यह स्थल हड़प्पा काल से पहले से लेकर हड़प्पा काल के दौरान तक बसा हुआ था। शहर का 4400 साल तक विस्तार हुआ। इसके बाद करीब 4000 साल तक पतन होता रहा।
अनिंद्य सरकार ने बताया कि धोलावीरा में रहने वालों ने जल संरक्षण के लिए उत्कृष्ट इंतजाम किए थे। उन्होंने बांधों का निर्माण किया था। जलाशय और पाइपलाइन भी तैयार किए थे लेकिन नदी के सूखने के कारण भारी सूखे की चपेट में आ गए थे।