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आयात की गई चाय की खेप पर आयातक तथा मूल देश का पता न चले तो खरीदार का लाइसेंस रद हो : टी बोर्ड

कोलकाता स्थित टी बोर्ड ने कहा है कि अगर आयात की गई चाय की खेप पर आयातक तथा मूल देश का पूरा पता नहीं रहता है तो खरीदार का लाइसेंस रद कर देना चाहिए।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 07:12 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 07:12 PM (IST)
आयात की गई चाय की खेप पर आयातक तथा मूल देश का पता न चले तो खरीदार का लाइसेंस रद हो : टी बोर्ड
आयात की गई चाय की खेप पर आयातक तथा मूल देश का पता न चले तो खरीदार का लाइसेंस रद हो : टी बोर्ड

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोलकाता स्थित टी बोर्ड ने कहा है कि अवैध रूप से आयात की गई चाय को रोकना बहुत जरूरी है। उसने कहा है कि अगर आयात की गई चाय की खेप पर आयातक तथा मूल देश का पूरा पता नहीं रहता है तो खरीदार का लाइसेंस रद कर देना चाहिए। टी बोर्ड के संज्ञान में आया है कि पिछले तीन वर्षों में 60.35 मिलियन किग्रा चाय का आयात किया गया। इसमें से 23.43 मिलियन किलोग्राम का फिर से निर्यात किया गया है, जबकि भारत में 36.92 मिलियन किलोग्राम बेचा गया है, जिसका पता नहीं लगाया जा सकता है।

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इस कदम से दार्जिलिंग चाय उद्योग को सबसे अधिक मदद मिलेगी, क्योंकि अवैध चाय के आयात से उसे सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। दार्जिलिंग टी एसोसिएशन के सचिव कौशिक बसु ने कहा कि चाय बोर्ड ने पाया है कि खाद्य सुरक्षा मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम 2011 में निर्धारित दिशानिर्देशों का अनुपालन किए बिना चाय बेची जाती है। दार्जिलिंग के एक प्रमुख चाय निर्माता, अंबूतिया समूह के चेयरमैन संजय बंसल ने कहा, “कदम उन उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करेगा जो सस्ती गुणवत्ता वाली चाय के लिए अधिक भुगतान कर रहे हैं। इससे दार्जिलिंग चाय व्यापार में मदद मिलेगी, जो पिछले 10 वर्षों से टी बोर्ड को घरेलू बाजार में बेची जाने वाली आयातित चाय की गुणवत्ता पर रोक लगाने के लिए कह रहा है। बंसल ने कहा कि अवैध नकली चाय स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है।


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