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वंचित बच्चों के लिए कोलकाता पुलिस की डिजिटल शिक्षा पहल का 'आइ एम कोलकाता' ने किया समर्थन

पोड़ा शोना दाड़ाबे ना (शिक्षा नहीं रुकेगी - एजुकेशन विल नाट स्टाप ) नाम की पहल गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के स्कूली बच्चों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए डिजिटल उपकरणों के साथ सशक्त बनायेगी। इस पहल को क्राई और एयरटेल ने भी समर्थन दिया है।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 25 Aug 2021 09:39 AM (IST)Updated: Wed, 25 Aug 2021 09:39 AM (IST)
वंचित बच्चों के लिए कोलकाता पुलिस की डिजिटल शिक्षा पहल का 'आइ एम कोलकाता' ने किया समर्थन
वंचित बच्चों के लिए कोलकाता पुलिस की डिजिटल शिक्षा पहल का 'आइ एम कोलकाता' ने किया समर्थन

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोलकाता पुलिस द्वारा वंचित बच्चों को डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए शुरू की गई पहल का समर्थन करने के लिए आइ एम कोलकाता, मर्लिन ग्रुप की सीएसआर शाखा ने हाथ मिलाया है। पोड़ा शोना दाड़ाबे ना' (शिक्षा नहीं रुकेगी - एजुकेशन विल नाट स्टाप ) नाम की पहल गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के स्कूली बच्चों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए डिजिटल उपकरणों के साथ सशक्त बनायेगी। इस पहल को क्राई और एयरटेल ने भी समर्थन दिया है।

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एक औपचारिक समारोह में साकेत मोहता, संस्थापक, आइ एम कोलकाता, मर्लिन से और एमडी, मर्लिन समूह ने अपराजिता राय, आइपीएस, पुलिस उपायुक्त, स्पेशल टास्क फोर्स, कोलकाता पुलिस को 50 स्मार्ट फोन भेंट किये। ये स्मार्टफोन वंचित बच्चों को उनकी आनलाइन कक्षाओं के लिए दान किये जायेगे।

साकेत मोहता, संस्थापक, आइ एम कोलकाता और एमडी, मर्लिन समूह ने कहा, 'कोलकाता पुलिस द्वारा जरूरतमंद बच्चों के घर-घर तक डिजिटल शिक्षा पहुंचाने पहल उनके समग्र विकास के लिए एक बहुत ही आवश्यक प्रोत्साहन है।

यह सभी के लिए समावेशी शिक्षा और शिक्षा के विकास की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। यह शिक्षा के प्रारंभिक चरण में ड्राप आउट की कुल संख्या को भी कम करेगा। महामारी ने सभी के लिए डिजिटल शिक्षा की आवश्यकता पैदा कर दी है और यह कदम उस दिशा में सही है।

डिजिटल डिवाइस के कारण आनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हो सके 40 प्रतिशत छात्र

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की प्रतिचि (इंडिया) ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 40 प्रतिशत प्राथमिक विद्यालय के छात्र डिजिटल डिवाइस के कारण महामारी के दौरान आनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हो सके। यह अध्ययन कोलकाता के 21 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के सैकड़ों शिक्षकों द्वारा साझा किये गये अनुभवों के आधार पर संकलित किया गया था।

इस रिपोर्ट में बताया गया था कि या तो इन छात्रों के पास डिजिटल डिवाइस नहीं है, या उनके पास अच्छा इंटरनेट कनेक्शन नहीं है, या दोनों नहीं है। इसलिए, यह सोचने का कोई कारण नहीं है कि हाई स्कूल के छात्रों के लिए अनुभव अलग होगा। नतीजतन, गरीब बच्चों और उन लोगों के बीच बड़ी खाई बढ़ रही है, जो घर से कक्षाएं जारी रखने के लिए डिजिटल उपकरणों का खर्च उठा सकते हैं।

कोलकाता पुलिस के अधिकारियों ने महसूस किया कि कई छात्र, विशेष रूप से किशोर, जो डिजिटल उपकरणों की कमी के कारण कक्षाओं में शामिल नहीं हो सकते हैं, निराश हो जाते हैं और अक्सर आपराधिक गतिविधियों में उलझ जाते हैं।

इसे ध्यान में रखते हुए, वर्तमान सहयोगी पहल का उद्देश्य बच्चों को आनलाइन शिक्षा को उनके दरवाजे तक लाकर शिक्षा और अन्य सह-पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियों में शामिल करना है। ई-लर्निंग में बहुत बड़ी क्षमता है और यह नई उभरती दुनिया के लिए एक नया दृश्य खोलता है और इस डिजिटल शिक्षा विभाजन को दूर करने से प्रत्येक छात्र की क्षमता का एहसास करने में मदद मिल सकती है। 


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