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West Bengal Animal Trafficking: मानसून के दौरान पशु तस्करी रोकने के लिए बीएसएफ के आइजी ने की उच्च स्तरीय बैठक

पशु तस्करी रोकने के लिए बीएसएफ ने की उच्च स्तरीय बैठक बनाई पुख्ता रणनीति। इस साल भी पशु तस्करी की घटनाओं को पूरी तरह विफल करने का दिया निर्देश ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 09:47 AM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 10:21 AM (IST)
West Bengal Animal Trafficking: मानसून के दौरान पशु तस्करी रोकने के लिए बीएसएफ के आइजी ने की उच्च स्तरीय बैठक
West Bengal Animal Trafficking: मानसून के दौरान पशु तस्करी रोकने के लिए बीएसएफ के आइजी ने की उच्च स्तरीय बैठक

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। इस साल के मानसून सीजन के दौरान पशु तस्करी की घटनाओं को रोकने के लिए बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के महानिरीक्षक योगेश बहादुर खुरानिया (आइपीएस) ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हाल में उच्च स्तरीय बैठक की।

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अगले महीने शुरू हो रहे मानसून सीजन से पूर्व की तैयारियों को लेकर आयोजित इस बैठक में आइजी ने पशु तस्करी को रोकने के लिए समग्र समीक्षा की और पिछले साल की ही तरह तस्करी पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए पुख्ता रणनीति बनाई। साथ ही उन्होंने अभी से ही बेहद सतर्क रहने का निर्देश दिया।

जानकारी के मुताबिक आइजी ने स्पष्ट कहा कि इस मानसून सीजन में भी सीमा सुरक्षा बल द्वारा पशु तस्करों के ऊपर पूरी तरह लगाम लगाई जाएगी और तस्करी के प्रयासों को विफल किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2020 में पहले से भी अधिक सफलता मिलेगी। बताया गया कि बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि दक्षिण बंगाल के जिम्मेवारी में पड़ने वाली नदियां जिसमें गंगा, महाभंगा, पुनर्रभावा, सोनाई, इच्छामती आदि नदियों में मानसून के दौरान जब बाढ़ आएगी तो किस रणनीति के तहत पशु तस्करी को रोकना है।

दरअसल, हर साल मानसून के सीजन में जब नदियों में बाढ़ आ जाती है तो पशु तस्कर सैकड़ों की संख्या में पशुओं को सीमा रेखा से 10- 15 किलोमीटर पीछे नदियों में केले के स्तंभ या बांस के बेड़े से बांधकर पानी की धारा में बहा देते हैं और बांग्लादेश में प्रवेश कराने का प्रयास करते हैं। पिछले वर्ष पशु तस्करों ने सीमा सुरक्षा बल के जवानों को शारीरिक नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ पशुओं के शरीर पर सॉकेट बम भी बांध दिए थे।

हालांकि तस्करों के तमाम प्रयासों को विफल करते हुए बीएसएफ के जवानों ने पूरी हिम्मत के साथ नियमित बोट पेट्रोलिंग आदि के माध्यम से ज्यादातर पशुओं को पकड़ने में सफलता हासिल की और तस्करी पर पूरी तरह नकेल कस कर रख दिया। पशु तस्करी को रोकने में बीएसएफ को राज्य पुलिस से भी सहयोग मिला। जिसमें कुछ पुलिस स्टेशन जैसे शमशेरगंज, सूती, रानीनगर, धुलियान आदि ऐसे इलाके हैं जहां से नदिया बांग्लादेश में प्रवेश करती है। पुलिस स्टेशन कमांडर तथा बीएसएफ के कंपनी कमांडरों ने संयुक्त ऑपरेशन करके सभी घाटों पर नियमित छापेमारी की तथा लगातार निगरानी रखकर पिछले साल कई हजार पशुओं को तस्करी से बचाया। साथ ही बड़ी संख्या में तस्करों को गिरफ्तार करने के साथ गाड़ियों को भी पकड़ा।

इस तरह के संयुक्त ऑपरेशन में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों जिसमें मालदा तथा मुर्शिदाबाद के पुलिस अधीक्षक तथा बीएसएफ के कमांडेंट स्तर के अधिकारियों के पारस्परिक सहयोग से संयुक्त ऑपरेशन में काफी सफलता मिली तथा पशु तस्करी पर लगाम लगाई जा सकी। आइजी ने विश्वास व्यक्त किया कि पिछले 35 वर्षों से चली आ रही पशु तस्करी को रोकने में दक्षिण बंगाल के सीमा प्रहरियों ने निरंतर प्रयासों से 2019 में जिस तरह पूरी तरह अंकुश लगाने में सफलता पाई है, 2020 में पहले से भी अधिक सफलता मिलेगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा सीमा प्रहरियों तथा उपकरणों का गतिशील इस्तेमाल तथा पुलिस के सहयोग से वर्ष 2020 में इस दक्षिण सीमांत इलाके में कोई पशु तस्करी की घटना नहीं होगी।

उल्लेखनीय है कि एक समय दक्षिण बंगाल सीमांत क्षेत्र से ही सबसे ज्यादा पशुओं की तस्करी होती थी। हालांकि निरंतर प्रयासों से दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के सीमा प्रहरियों ने पिछले साल पशु तस्करी को 100 फीसद रोकने में अभूतपूर्व सफलता पाई और पशु तस्करी के अवैध धंधे में शामिल लोगों की पूरी तरह कमर तोड़ कर रख दी। 


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