हाईकोर्ट ने उच्च प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति मामले में स्कूल सर्विस कमीशन को बताया 'नकारा', चेयरमैन को हाजिर होने का निर्देश
हाईकोर्ट ने उच्च प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति मामले में स्कूल सर्विस कमीशन को बताया नकारा चेयरमैन को सशरीर अदालत में हाजिर होने का निर्देश अदालत ने कमीशन की भूमिका पर नाराजगी जताते हुए सवाल किया कि नियुक्ति में नियमों का इतना उल्लंघन क्यों हो रहा है?
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने उच्च प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति मामले में स्कूल सर्विस कमीशन को 'नकारा' बताते हुए इसके चेयरमैन को सशरीर अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ ने शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करते हुए प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर स्कूल सर्विस कमीशन की भूमिका पर नाराजगी जताते हुए सवाल किया कि नियुक्ति में नियमों का इतना उल्लंघन क्यों हो रहा है? न्यायाधीश ने आगे पूछा कि इस कमीशन को कौन अधिकारी चला रहे हैं? अविलंब कमीशन को खारिज कर दिया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने गत बुधवार को 14,339 उच्च प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति पर अंतरिम रोक लगा दी थी। परीक्षार्थियों के एक वर्ग ने मेधा तालिका में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया था। पिछले महीने ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि दुर्गापूजा से पहले प्राथमिक व उच्च प्राथमिक मिलाकर साढे़ 24,000 शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि नौकरी के लिए किसी की पैरवी नहीं चलेगी। मेधा के आधार पर ही नियुक्तियां होंगी।
अदालत के स्थगनादेश पर मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा था कि वे जब भी छात्र समुदाय के बेहतर भविष्य के लिए कोई अच्छा काम करने जाती हैं तो कुछ लोग अदालत में पहुंच जाते हैं। गौरतलब है कि पूर्व बर्द्धमान जिले के रहने वाले अभिजीत घोष व मुर्शिदाबाद जिले के वाशिंदा मोहम्मद शरीकुल इस्लाम समेत अन्य लोगों ने यह मामला किया है।
उनका आरोप है कि इंटरव्यू के लिए जिन्हें बुलाया जा रहा है, उन लोगों की सूची में उन्हें मिले अंकों का उल्लेख नहीं है। ज्यादा नंबर पाने वाले बहुत से परीक्षार्थियों का सूची में नाम ही नहीं है। दूसरी तरफ जिन्हें कम अंक मिले हैं, उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया जा रहा है। कुछ परीक्षार्थियों ने इसे लेकर स्कूल सर्विस कमीशन के दफ्तर के सामने विरोध-प्रदर्शन भी किया था। स्कूल सर्विस कमीशन की तरफ से इस बाबत कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की गई। इसी कारण परीक्षार्थियों ने फिर से अदालत का रुख किया। गौरतलब है कि इससे पहले भी यह मामला काफी समय तक अदालत में विचाराधीन रहा था और फिर से कानूनी पचड़े में पड़ गया है।