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सुंदरमैनग्रोव पर भी अतिक्रमण नहीं किया जा सकता: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि सुंदरवन के मैनग्रोव (दलदल में उगने वाले पेड़) के एक इंच जमीन पर भी अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है। डिविजन बेंच ने दक्षिण 24 परगना के डीएम को इस मामले में सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 09:44 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 09:44 AM (IST)
सुंदरमैनग्रोव पर भी अतिक्रमण नहीं किया जा सकता: हाईकोर्ट
सुंदरवन के मैनग्रोव (दलदल में उगने वाले पेड़) के एक इंच जमीन पर भी अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है।

कोलकाता,  राज्य ब्यूरो। हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव बनर्जी और जस्टिस अरिजीत बनर्जी के डिविजन बेंच ने एक आदेश में कहा है कि सुंदरवन के मैनग्रोव (दलदल में उगने वाले पेड़) के एक इंच जमीन पर भी अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है। डिविजन बेंच ने दक्षिण 24 परगना के डीएम को इस मामले में सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कहा है कि पिछले पांच वर्षों में जो अतिक्रमण हुआ है उसे मुक्त कराने के बाद वह जमीन वन विभाग को सौंप दी जाए और इसे वापस मैनग्रोव के रूप में परिवर्तित किया जाए।

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इस मामले में कलाम पाइलान ने एक पीआईएल दायर की है और एडवोकेट देवज्योति देव ने उनका पक्ष रखा। जबकि राज्य सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल किशोर दत्त ने पैरवी की। जस्टिस संजीव बनर्जी ने इस मामले की सुनवायी के दौरान हैरानी जताते हुए कहा कि इस तथाकथित विकास के नाम पर मैनग्रोव को बरबाद किया जा रहा है। पिटिशन के साथ दी गई तस्वीरों में क्रेन और हेवी ड्यूटी की मशीनें दिख रही हैं। डिविजन बेंच ने इस मामले में वन विभाग को राज्य सरकार के मार्फत एक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। डीएम की तरफ से दाखिल रिपोर्ट पर गौर करने के बाद जस्टिस संजीव बनर्जी ने कहा कि वन विभाग की जमीन को फिशरी के रूप में बदला जा रहा है।

मैनग्रोव की जड़ें मिट्टी को बांध कर रखती हैं

मैनग्रोव की जड़ें मिट्टी को बांध कर रखती हैं और उन्हें उखाड़ने के बाद यह जमीन समुद्र में समा जाएगी। परिणामस्वरूप मैनग्रोव का रकबा और छोटा होता जाएगा। डिविजन बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह सख्त निगरानी बरते ताकि मैनग्रोव की एक इंच जमीन पर भी न तो कोई अतिक्रमण हो सके और न ही किसी जमीन को फिशरी के रूप में बदला जाए। इसके लिए वन विभाग, लोक निर्माण विभाग और पुलिस के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए। इस क्षेत्र के पर्यावरण के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है। डिविजन बेंच ने पिटिशनर को आदेश दिया कि वह इस ऑर्डर की एक कापी गृह सचिव के पास भेज दे और गृह सचिव से कहा है कि वे इस मामले में उपयुक्त कार्रवाई करें। 


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