Move to Jagran APP

डीए सरकार की दया पर निर्भर नहीं, महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों का कानूनी अधिकार: हाईकोर्ट

न्यायाधीशों ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों जितना डीए दिया जाना चाहिए अथवा नहीं, यह सैट ही निर्धारित करेगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 01 Sep 2018 10:54 AM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 10:54 AM (IST)
डीए सरकार की दया पर निर्भर नहीं, महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों का कानूनी अधिकार: हाईकोर्ट
डीए सरकार की दया पर निर्भर नहीं, महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों का कानूनी अधिकार: हाईकोर्ट

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। 'महंगाई भत्ता (डीए) सरकार की दया पर निर्भर नहीं है। यह सरकारी कर्मचारियों का कानूनी अधिकार है।' कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सैट) के फैसले को खारिज करते हुए यह फरमान सुनाया। हालांकि न्यायाधीश देवाशीष करगुप्ता एवं न्यायाधीश शेखर बॉबी सराफ की खंडपीठ ने डीए की दर तय करने का फैसला सैट पर ही छोड़ा है।

loksabha election banner

न्यायाधीशों ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों जितना डीए दिया जाना चाहिए अथवा नहीं, यह सैट ही निर्धारित करेगा। सैट यह भी तय करेगा कि बंगाल सरकार द्वारा दिल्ली और चेन्नई में कार्यरत अपने कर्मचरियों को भिन्न दर पर डीए दिए जाने का औचित्य है या नहीं। हाईकोर्ट ने इस असमानता को दूर करने के लिए सैट को दो माह के अंदर मामले का निपटारा करने को कहा है।

खंडपीठ ने कहा कि सैट ने जो दावा किया था, उस बाबत राज्य सरकार से हलफनामा नही मांगा था। राज्य सरकार को तीन हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है।

क्या है मामला

राज्य सरकार के कर्मचारियों ने 21 नवंबर, 2016 को बकाया डीए की मांग पर सैट में मामला दायर किया था। सैट ने पिछले साल फरवरी में अपने फैसले में कहा था कि डीए देना अथवा नहीं देना सरकार की इच्छा पर निर्भर है। डीए कर्मचारियों पर सरकार की दया है। सैट के इस फैसले को लेकर काफी विवाद हुआ था। कुछ कर्मचारी संगठनों ने सैट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसपर डेढ़ साल बाद यह फैसला आया है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि महंगाई बढ़ने के अनुपात में सरकारी कर्मचारी डीए पाने के हकदार होंगे।

सरकारी कर्मचारियों के संगठनों ने फैसले का किया स्वागत

हाईकोर्ट के फैसले का विभिन्न सरकारी कर्मचारियों के संगठनों ने स्वागत किया है। वामपंथी सरकारी कर्मचारियों के संगठन स्टेट को-आर्डिनेशन कमेटी ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले से साबित हो गया कि वे आंदोलन के सही रास्ते पर थे। सरकारी कर्मचारियों को अपना अधिकार पाने के लिए और भी जोरदार आंदोलन करना होगा ताकि उन्हें न्याय मिल सके।

सरकार की आर्थिक स्थिति देखना भी जरुरी :

पार्थ संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने राज्य सरकार का बचाव करते हुए कहा कि सरकार भी मानती है कि डीए सरकारी कर्मचारियों का कानूनी अधिकार है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो 25 प्रतिशत डीए देने की घोषणा भी की है, जो जनवरी से लागू होगा। 25 प्रतिशत डीए मिलने के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कर्मचारियों के डीए में अंतर कम हो पाएगा। डीए सरकारी कर्मचारियों का अधिकार है लेकिन इसके साथ सरकार की आर्थिक स्थिति को भी देखना होगा।

सरकारी खजाना भरा रहेगा तो अवश्य सरकारी कर्मचारियों को पर्याप्त डीए मिलेगा। दूसरी तरफ माकपा विधायक सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि वह अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। डीए सरकार की दया या दान नहीं है बल्कि सरकारी कर्मचारियों का अधिकार है।

क्लबों को पैसा देने और उत्सव मनाने के लिए तो राज्य सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है। वरिष्ठ माकपा नेता विकास रंजन भंट्टाचार्य ने कहा कि डीए सरकारी कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार है। हाईकोर्ट के फैसले से यह साबित हुआ है। इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों की जीत हुई है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.