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बेबस पिता ने लगाई इच्छा मृत्यु की अर्जी, भीख मांगने को मजबूर श्मशान को बनाया आशियाना

बूढ़े, बीमार व लाचार पिता को जब अपने बेटे से यह सुनना पड़ा कि वह माता-पिता का खर्च उठाने में सक्षम नहीं है तो पिता ने श्मशान को अपना आशियाना बनाया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 10:08 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 11:20 AM (IST)
बेबस पिता ने लगाई इच्छा मृत्यु की अर्जी, भीख मांगने को मजबूर श्मशान को बनाया आशियाना
बेबस पिता ने लगाई इच्छा मृत्यु की अर्जी, भीख मांगने को मजबूर श्मशान को बनाया आशियाना

कोलकाता, जागरण संवाददाता। अपने खून (संतान) को माता-पिता अपने खून (कड़ी मेहनत) से सींचते (पालकर बड़े करते) हैं। इस उम्मीद में कि बड़ा होकर मेरा संतान कुछ बनकर दिखाएगा। अपने साथ ही वह पूरे परिवार का नाम रोशन करेगा। साथ ही बुढ़ापे का सहारा भी बनेगा। लेकिन बूढ़े, बीमार व लाचार पिता को जब अपने जवान बेटे से यह सुनना पड़े कि वह माता-पिता का खर्च उठाने में सक्षम नहीं है, तो कल्पना कर सकते हैं कि उस पिता पर क्या बिता होगा।

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टूटी कमर की वेदना के साथ रामपुरहाट जिला अस्पताल में उपचाराधीन उम्र के आठवें दशक को देख चुके दीपक खुद को अभागा मान रहे हैं। अपनी लाचारी से आजिज आकर उन्होंने कोर्ट में इच्छा मृत्यु की अर्जी लगाई है। कोलकाता के भवानीपुर स्थित हरिश चट्टोपाध्याय स्ट्रीट के निवासी हैं दीपक सिंह।

3 साल पहले बिगड़ी तबीयत ने बिगाड़ी किस्‍मत

10 साल पहले की बात है। एसी मशीन के अच्छे मिस्त्री के रूप में दीपक सिंह आसपास के इलाके में स्थापित थे। पत्नी रेखा और एकमात्र बेटा जयंत को लेकर सिंह परिवार सूखी से रह रहा था। लेकिन लगभग तीन साल पहले किस्‍मत ने अपना खेल खेला और काम करने के दरम्यान शरीर में आई एक अकड़न ने इस हाल में खड़ा कर दिया कि दीपक काम करने लायक नहीं रहे। मजबूरन उन्हें घर में बैठने को मजबूर होना पड़ा।

काम नहीं करने के कारण आमद बंद हो गई। इसके कारण परिवार का गुजर-बसर मुश्किल हो चला था। इस परेशानी का मुकाबला करने के लिए संतान और पत्नी के साथ दीपक अपने ससुराल चले आए।

यहां किराए के मकान में रहने लगे। हालांकि बकाया नहीं देने पर घर से छोड़ना पड़ा। दो रात सड़क पर बिताने के बाद बेटे के ससुराल में आश्रय लेने को मजबूर होना पड़ा। हालांकि वहां भी समस्याओं ने पीछा नहीं छोड़ा। मुसीबत की घड़ी में बेटे और बहु ने भी माता-पिता से अपना मुंह फेर लिया।

अब दीपक पत्नी रेखा के साथ तारापीठ को निकल पड़े। यहां श्मशान को अपना नया आशियाना बना लिया। हालात के मारे सिंह दंपती पापी पेट की खातिर भीख मांगने को मजबूर हो गए। इस बाबत रेखा लापता हो गई। पत्नी के गुम होने के गम ने दीपक सिंह को पूरी तरह से तोड़कर रख दिया। इसके बाद बीते 28 अगस्त को चलने के दौरान रास्ते पर गिरकर दीपक चोटिल हो गए। उनकी कमर की हड्डियां टूट गईं। स्थानीय लोगों की मदद से उन्होंने रामपुरहाट जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।

बेटे ने कहा, नहीं उठा सकता माता-पिता का खर्च

रामपुरहाट जिला अस्पताल की अधीक्षक शर्मिला मौलिक ने कहा कि दीपक सिंह के कमर की हड्डियां टूट गई हैं। इलाज के लिए उन्हें ब‌र्द्धमान या कोलकाता के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ेगा। चूंकि उनके बेटे ने उनकी जिम्मेवारी लेने से इनकार कर दिया है, इस सूरत में हमारे लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस बाबत पूछने पर दीपक के बेटे जयंत सिंह का साफ कहना है कि वह एक गंजी के कारखाने में काम करते हैं। उनके लिए अभिभावक का खर्च वहन करना मुमकिन नहीं हैं।

एक तरफ पत्नी के गुम होने का गम, दूसरी तरफ बेटे की बेरुखी ने दीपक सिंह को पूरी तरह से झकझोर दिया है। लाचार होकर उन्होंने अदालत में इच्छा मृत्यु की अर्जी दाखिल की है।


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