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कोलकाता में निजी अस्पतालों की मनमर्जी पर हेल्थ कमीशन सख्त, कहा- दाखिले पर 20 फीसद से अधिक रुपये न लें

परिजनों को 12 घंटे का समय रुपये जमा करने के लिए दिए जाएं। यदि इस पर भी रुपये नहीं जमा किए हैं तो फिर अस्पताल परिजनों को मरीज को कहीं और ले जाने की सलाह दे सकते हैं।

By Pooja SinghEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 04:34 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 05:01 PM (IST)
कोलकाता में निजी अस्पतालों की मनमर्जी पर हेल्थ कमीशन सख्त, कहा- दाखिले पर 20 फीसद से अधिक रुपये न लें
कोलकाता में निजी अस्पतालों की मनमर्जी पर हेल्थ कमीशन सख्त, कहा- दाखिले पर 20 फीसद से अधिक रुपये न लें

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोरोना महामारी के समय में भी बंगाल में कुछ निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों से इलाज के नाम पर मनमर्जी पैसे वसूले जा रहे हैं। साथ ही कोरोना वायरस मरीजों को अस्पताल में भर्ती करवाए जाने के दौरान अधिक पैसे मांगे जा रहे हैं जिसको लेकर लगातार शिकायतें मिल रही है।

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इसको देखते हुए वेस्ट बंगाल क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमिशन (डब्ल्यूबीसीइआरसी) ने एक एडवाइजरी जारी कर निजी अस्पतालों को सख्त निर्देश दिया है। कमीशन ने कहा है कि मरीजों की भर्ती के दौरान कुल खर्च के आकलन को देखते हुए 20 फीसद से अधिक या फिर 50 हजार रुपये से अधिक की मांग ना की जाए। यह भी कहा है कि यदि मरीज के पास उस समय रुपये नहीं हैं तो भर्ती लेकर इलाज तुरंत शुरू किया जाए। साथ ही परिजनों को 12 घंटे का समय रुपये जमा करने के लिए दिए जाएं। यदि इस पर भी रुपये नहीं जमा किए हैं तो फिर अस्पताल परिजनों को मरीज को कहीं और ले जाने की सलाह दे सकते हैं।

जांच के पहले परिजनों को कारण बताना होगा

कमीशन ने इसके अलावा निजी अस्पतालों को दिशा निर्देश दिया है कि यदि 2000 रुपये से अधिक के टेस्ट रोजाना किए जा रहे हैं तो इस बारे में संबंधित अस्पताल को परिजनों को अवगत कराना होगा। साथ ही टेस्ट कराए जाने का सही कारण का भी उल्लेख करना होगा। हालांकि आपातकालीन परिस्थिति में मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टरों का निर्णय ही अंतिम व मान्य होगा। बताते चलें कि कोलकाता सहित राज्य के विभिन्न शहरों में निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना के इलाज के नाम पर मोटी- मोटी रकम का बिल बनाने व मनमर्जी की लगातार शिकायतें मिल रही है। इससे पहले राज्य सरकार ने भी निजी अस्पतालों को सख्त हिदायत दी थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि यह समय व्यापार का नहीं है बल्कि मानवता की सेवा का है। इसके बावजूद निजी अस्पतालों की मनमानी जारी है।


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