गंगा किनारे चलता है गुरुकुल, एक साथ पढ़ते हैं सैकड़ों विद्यार्थी
ये उन बच्चों में शिक्षा की रोशनी फैलाने का कार्य करते हैं, जिनके पास किसी प्रसिद्ध कोचिंग सेंटर में पढ़ने का सामथर्य नहीं है।
कोलकाता, सुनील शर्मा । शिक्षा के बिना वास्तविक विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसलिए समाज के हर व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए, लेकिन कुछ ऐसे भी तबके हैं जहां शिक्षा की रोशनी नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में गरीब और असमर्थ परिवारों की प्रतिभाएं अंधेरे से बाहर नहीं निकल पाती। ऐसी प्रतिभाओं को प्रकाशित करने के लिए सिर्फ सरकारी पहल काफी नहीं है।
इस वास्तविकता को समझते हुए डॉ. जेके भारती वंचित तबकों में शिक्षा का दीप प्रज्ज्वलित कर समाज व देश के विकास में योगदान कर रहे हैं। श्रमिक व मजदूर परिवारों के बच्चों के लिए भारती अपने आप में संस्थान हैं। ये उन बच्चों में शिक्षा की रोशनी फैलाने और उन्हें शिक्षा के अधिकार के प्रति जागरूक करने का कार्य करते हैं, जिनके पास किसी प्रसिद्ध कोचिंग सेंटर में पढ़ने का सामर्थय नहीं है।
डॉ. भारती द्वारा इन बच्चों को शिक्षा देने की पद्धति भी बिल्कुल अलग है। माध्यमिक परीक्षा के ठीक चार महीने पहले गंगा तट पर खुले आसमान के नीचे इनका गुरुकुल शुरू होता है। बैरकपुर क्षेत्र के भाटपाड़ा में गंगा नदी के किनारे प्राकृतिक वातावरण में भारती की पाठशाला चलती है, जहां एक साथ सैकड़ों छात्र-छात्रएं पढ़ाई करते हैं। यहां जेके भारती निशुल्क शिक्षा प्रदान करते हैं।
उनके गुरुकुल में प्रति दिन करीब तीन हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। यहां माध्यमिक के परीक्षार्थियों को प्रत्येक विषय पढ़ाया जाता है। डॉ. भारती का यह अथक प्रयास आर्थिक रूप से कमजोर और उपेक्षित बच्चों की मदद के लिए है, जिसमें किसी तरह का भेदभाव का कोई स्थान नहीं है।
यहां न सिर्फ छात्र-छात्रओं को पाठ्यक्रम संबंधी आधुनिक तरीके से शिक्षा प्रदान की जाती है बल्कि उन्हें मानव मूल्यों, कर्तव्यों और सामाजिक दायित्वों का बोध भी कराया जाता है ताकि सही मायने में शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो सके। समाज के गरीब और वंचित बच्चों में ज्ञान का प्रकाश फैलाना डॉ. जेके भारती के जीवन का उद्देश्य है। इस गुरु में विद्यार्थियों के प्रति उदारता की भावना कुछ इस कदर है जो कल्पना से परे है।
उन्होंने अपने पिता सभापति भारती के हत्यारोपी के बेटे को भी पढ़ाया और वह भी निशुल्क। उनके वहां कांकीनाड़ा, जगद्दल, भाटपाड़ा, के अलावा पलता, बैरकपुर, टीटागढ़, विधाननगर, नैहाटी, हालीशहर, कांचरापाड़ा, रानाघाट व हुगली जिले के रिसड़ा चंदन नगर, श्रीरामपुर सहित विभिन्न इलाकों के बच्चे पढ़ने आते हैं। वे खड़दह में भी इसी तरह बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं। वे बांग्ला, उर्दू व अरबी भी पढ़ाते हैं।
समाज के हर तबके में शिक्षा का अधिकार दिलाने का प्रयास करने वाले यह शिक्षक भाटपाड़ा नगर पालिका क्षेत्र के कचहरी रोड स्थित एक कच्चे मकान में रहते हैं।वे माध्यमिक परीक्षा के अलावा भी सालभर विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों को निशुल्क पढ़ाते हैं। वे 20 वर्षो से लगातार इस प्रयास में जुटे हुए हैं। अच्छे अंक पाने वाले विद्यार्थियों को जेके भारती पुरस्कृत भी करते हैं। वे अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर चुके हैं। आज उनके कई छात्र डाक्टर, इंजीनियर, प्रध्यापक एवं भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में अधिकारी हैं। उनके इस कार्य में उनके भाई डॉ. कृष्णा नंद भारती की महती भूमिका है।