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गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर, सुरमयी संध्या में काशी में उतर आया शांति निकेतन

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर बुधवार को डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर दैनिक जागरण की ओर से भारत आनंद, काशी आनंद का आयोजन किया गया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 11 May 2018 10:46 AM (IST)Updated: Fri, 11 May 2018 10:54 AM (IST)
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर, सुरमयी संध्या में काशी में उतर आया शांति निकेतन
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर, सुरमयी संध्या में काशी में उतर आया शांति निकेतन

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर बुधवार को डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर दैनिक जागरण की ओर से भारत आनंद, काशी आनंद का आयोजन किया गया। शाम की ढलती धूप के बीच संगीत-नृत्य की शीतलता संग से दर्शक मंत्रमुग्ध हुए। बंगाल की माटी की सुगंध के साथ काशी के बंग समाज के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

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रवींद्र संगीत, कविता पाठ, समूह गान, समूह नृत्य की बयार से सभी ने शांति निकेतन का अनुभव किया। सुधि दर्शकों को कलाकारों ने पूरी तरह से गुरुदेव की कर्मस्थली शांति निकेतन की दुनिया में पहुंचा दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ गुरुदेव को नमन करके हुआ। प्रथम प्रस्तुति में उद्बोधन समूह गान रहा। जिसे गायक व गायिकाओं ने पेश किया। गाने के बोल थे, हे नूतन देखा दिक बार-बार..। ये गीत रवींद्रनाथ के जन्म तिथि 25 बैशाख (बंगला) पर आधारित रहा। इसके बाद छोटे-छोटे कदमों के साथ आईं नन्ही कलाकारों ने ओई रांगा माटी आमार मोन आमार मोन.. को बहुत ही सुंदर ढंग से रखा। इसमें नृत्य कलाकार थीं जागृति, अदिति, सौम्या, अनुश्री, हीर, मिहिका। रवींद्रनाथ द्वारा रचित कविता नगोर लोख्खी (नगर लक्ष्मी) की पंक्तियों को सौगत प्रसाद भट्टाचार्य ने सुनाया। इस रचना गौतम बुद्ध ने जब गरीबी को देखा और उसके निस्तारण के उपाय के बारे में जो सोच, उस पक्ष को उभारा गया।

रंगारंग कार्यक्रम के क्रम में दर्शकों की बढ़ती संख्या के साथ ही अगली पेशकश में डा. गायत्री चटर्जी के निर्देशन में बंगाल के गांव को नृत्य के जरिए प्रस्तुत की। कलाकारों में दीप्ती शर्मा, इशिता दासगुप्ता, नंदनी रॉय, कामया जायसवाल, रियाशा व शिऊली भौमिक रहीं। नृत्य आयोजनों में लावण्य पूर्ण..की गीत पर सोना दास, जबा हालदार, ईहा पाल, अर्पणा व अर्पिता रक्षित ने लयबद्ध तरीके प्रस्तुति दी। इसके बाद शिप्रा घोष के निर्देशन में बंगला लोकगीत पर आधारित हाथे-हाथ धरो.. में बंगाल के उत्सव स्वरूप का मंचन हुआ।

इसमें विशाखा, कृति, विवेका, अनन्या, सीमा शामिल रहीं। अगली प्रस्तुति रीता विश्वास के नृत्य संयोजन में एक टू छोया.. को एक खास अंदाज में अनुष्का, अंजली, निधि, ऋषिका, अशोका व श्रुति ने प्रस्तुत की तो उपस्थित दर्शकों ने जमकर तालियां बजाकर उत्साहवर्धन किया। गायिका कस्तूरी सिंह राय ने दिनेर बेलाए बांसी.. सुनाई। इसके भाव में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति राग-अनुराग शामिल रहा।

वर्षा बसाक ने बादल बाऊल बाजाए.. के माध्यम से प्रकृति के कई रूपों को सामने रखी। गायक अयन भट्टाचार्य ने तोमार खोला हवा.. को कंठ दिया। संगतकार के तौर पर तबले पर विनय मुखर्जी, हारमोनियम पर ब्रोतोति दासगुप्ता, मंजरी पर शिप्रा चRवर्ती व रुपाली बागची थीं। समूह गान में रवींद्र संगीत विश्व ह्रदय.. और आनंदो लोक.. को गायकों ने सुनाया। इसमें आवाज देने वालों में सौरभ चRवर्ती, देवव्रत दासगुप्ता, डी भट्टाचार्य, अनीता मुंशी, काकोली मुखर्जी, मधुमीता, अमृत आदि कलाकारों की रही।

मुख्य अतिथि आइएमएस बीएचयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के पूर्व अध्यक्ष व सेवानिवृत्त प्रो. बी भट्टाचार्य ने कहा कि मैं शांति निकेतन से पढ़ा हूं और आज यहां की प्रस्तुति देखकर पुन: वहां पहुंच गया। कहा कि गुरुदेव का उद्देश्य प्रकृति के साथ गीत, संगीत, नृत्य, चित्रकला, कविता को आगे बढ़ाना। रवींद्रनाथ ने हमेशा से देशभक्ति के साथ ही कला के पक्ष को महत्व देते रहे। विशिष्ट अतिथि हरिश्चंद्र कन्या इंटर कालेज की पूर्व प्रधानाचार्य अल्पना रॉयचौधरी ने कहा कि काशी के लघु भारत को सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से उभारना इस शहर के लिए गौरवपूर्ण है।

घाट पर उपस्थित दर्शकों का स्वागत करते हुए सौरभ ने भारत आनंद, काशी आनंद के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन करते हुए बंग समाज के वरिष्ठ सदस्य देवाशीष दास ने रवींद्रनाथ के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके योगदान को रखा।


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