विवेकानंद फ्लाईओवर के स्वास्थ्य परीक्षण को नए सिरे से निविदा जारी
- कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने दी जानकारी - 2016 में ढह गया था फ्लाईओवर का
- कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने दी जानकारी
- 2016 में ढह गया था फ्लाईओवर का एक हिस्सा, 28 लोगों की हुई थी मौत
जागरण संवाददाता, कोलकाता : विवेकानंद फ्लाईओवर की संरचनात्मक स्थिति का आकलन करने को राज्य सरकार ने एजेंसी को काम सौंपने से संबंधित सभी निविदा प्रक्रियाएं पूरी कर ली है। बड़ाबाजार के पोस्ता इलाके में स्थित यह निर्माणाधीन फ्लाईओवर साल 2016 में ढह गया था, जिसमें 28 लोगों के मारे जाने का दावा किया गया था। हालांकि, इससे पहले भी राज्य सरकार ने दो बार एजेंसी को उक्त आकलन को शामिल करने की कोशिश की थी, लेकिन किन्हीं कारणों से यह संभव नहीं हो सका था। बताया गया कि इससे पहले जिस एजेंसी को फ्लाईओवर के स्वास्थ्य ऑडिट की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसने यह साफ नहीं किया कि इसे ध्वस्त करना सही होगा या फिर मरम्मत संभव है। ऐसे में बाध्य हो सरकार को फिर से फ्लाईओवर की संरचनात्मक स्थिति का आकलन करने को निविदा जारी करनी पड़ी। कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने इसलिए दो अलग-अलग निविदाएं जारी कीं, जिनमें से एक संरचनात्मक स्थिति का आकलन करने को और दूसरा क्षतिग्रस्त गर्डरों को हटाने के लिए। फ्लाईओवर की संरचनात्मक स्थिति का आकलन करने के लिए केवल दो एजेंसियों ने सरकार द्वारा मंगाई गई निविदा का जवाब दिया था। हालाकि, राज्य सरकार काम के लिए एक एजेंसी को संलग्न नहीं कर सकती थी, क्योंकि बोली दस्तावेज का मूल्याकन करने के लिए न्यूनतम तीन निविदाएं आवश्यक थीं। नतीजतन, राज्य सरकार इस बात पर दुविधा में है कि शेष संरचना को नीचे खींचना होगा या मरम्मत कार्य करना होगा। वहीं 2008 में हैदराबाद की आइवीआरसीएल को अनुबंध प्रदान किया गया था और 2010 तक काम पूरा होना था, लेकिन समय पर काम पूरा नहीं हो सका था। हालांकि, फ्लाईओवर के ढहने के बाद राज्य सरकार ने जांच समिति का गठन किया था, जिसमें आइआइटी खड़गपुर के पूर्व संकाय सदस्यों को शामिल किया गया था। वहीं समिति ने फ्लाईओवर को ध्वस्त करने की सिफारिश की थी। बताया गया कि डिजाइन में गंभीर खामिया थीं और फ्लाईओवर का निर्माण करते समय उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल खराब गुणवत्ता के थे।