प. बंगाल सरकार ने पर्यावरण अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देने को खोला 15 और इको टूरिज्म केंद्र
eco tourism centers, पर्यावरण अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प बंगाल सरकार ने इको टूरिज्म पर्यटन केंद्र खोलने की शुरुआत की है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। राज्य के विभिन्न हिस्सों में पर्यावरण अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने अधिक से अधिक संख्या में इको टूरिज्म पर्यटन केंद्र खोलने की शुरुआत की है। शुक्रवार को पश्चिम बंगाल वन विकास निगम की ओर से बयान जारी कर इस बारे में जानकारी दी गई है।
बताया गया है कि वन विकास निगम ने राज्य में पर्यावरण-पर्यटन के विकास के लिए कई उपाय किए हैं। जनवरी 2019 से, राज्य भर में फैले 15 और इको-पर्यटन केंद्र खोले जा रहे हैं। बुकिंग मौजूदा पर्यटन बुकिंग साइट के माध्यम से की जा सकती है। निगम ने इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई है और सभी इको-रिसॉर्ट्स में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए काम किया जा रहा है।
वन विकास निगम की ओर से वर्तमान में 19 स्थानों पर इको-टूरिज्म रिसॉर्ट बनाए गए है, जिनमें से 13 उत्तर बंगाल में और छह दक्षिण बंगाल में स्थित हैं। अब 15 और इको टूरिज्म पर्यटन केंद्र विकसित करने के बाद इनकी संख्या बढ़कर 34 पर पहुंच जाएगी। उत्तर बंगाल में वन विकास निगम के तहत जलढांका, मूर्ति, परेन, रसिकबील, सनतालेखोला, लोलीगाँव, लावा, कलिम्पोंग, मोंगपॉन्ग, समसिंग, पड़ोडाब्री, राजभट्टवा और लेपचाजगत में प्रकृति रिसॉर्ट्स हैं।
इसके अलावा दक्षिण बंगाल के गरपंचकोट, मुकुटमणिपुर, झाड़ग्राम, लोधशौली, ताजपुर और गार्चुमुक इको टूरिज्म के लिहाज से अनुकूल है। विभाग की ओर से बताया गया है कि जिन 15 नए इको टूरिज्म पर्यटन केंद्रों में जनवरी से बुकिंग स्वीकार की जाएगी वे हैं झाड़ग्राम जिले के हाटीबारी, बांकुड़ा जिले के सुसुनिया, दार्जिलिंग जिले के चटकपुर, पंजहोर (गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान के तहत), जलपाईगुड़ी जिले में, मनदाबाड़ी (जलदापारा नेशनल पार्क के तहत), नेमाटी (बक्सर टाइगर रिज़र्व के तहत), बोनी कैम्प (सुंदरवन में) प्रमुख हैं। वन विकास निगम, पर्यटन विभाग के समन्वय में, राज्य में होमस्टे पर्यटन को विकसित करने पर भी काम कर रहा है। इसके साथ ही निगम विभिन्न साइटों का विकास कर रहा है। जहां भी जगह की उपलब्धता होगी पर्यटकों के लिए वॉचटावर स्थापित करेगा।