83 साल के गोपाल चंद्र नंदी 53 वर्षो से चुनावी रण में हैं, अब तक एक भी चुनाव नहीं हारे
1965 में अपना सियासी सफर शुरू करने वाले 83 वर्षीय गोपाल चंद्र नंदी एक ऐसे चुनावी खिलाड़ी हैं, जो 53 वर्षों के चुनावी रण में कभी पराजित नहीं हुए।
कोलकाता, जेएनएन।1965 में अपना सियासी सफर शुरू करने वाले 83 वर्षीय गोपाल चंद्र नंदी एक ऐसे चुनावी खिलाड़ी हैं, जो 53 वर्षों के चुनावी रण में कभी पराजित नहीं हुए। बंगाल के दासपुर से ताल्लुक रखने वाले गोपाल चंद्र नंदी का राजनीतिक करियर शानदार रहा है। वे इस बार भी पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के टिकट से चुनावी अखाड़े में हैं और उन्हें यकीन है कि हमेशा की तरह इस बार भी जीत उन्हें ही मिलेगी।
गोपाल नंदी इस बार दासपुर ब्लॉक एक में नंदनपुर ग्राम पंचायत से गोविंदनगर से चुनाव लड़ रहे हैं। नंदी ने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस के साथ शुरू किया।
इसके बाद उन्होंने ममता के तृणमूल से खुद को जोड़ लिया। इसे उनकी लोकप्रियता का असर कहें या जनता के दिलों में उनके लिए प्यार और सम्मान, बंगाल में 34 वर्षों तक वामो के शासन में भी नंदी को चुनाव में कोई हरा नहीं पाया। उन्हें 25 साल तक पंचायत का सदस्य रहने पर केंद्र सरकार ने प्रमाणपत्र भी दिया।
गोपाल चंद्र ने अपने पिता हरिपद नंदी के साथ महात्मा गांधी के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में हिस्सा लिया था और तभी से उन्हें राजनीति का चस्का लग गया। इसके बाद विधानचंद्र रॉय और अजय मुखर्जी जैसे प्रसिद्ध राजनेताओं के नेतृत्व में उन्होंने राजनीति में अपनी यात्रा शुरू की।
गोपाल नंदी के सामने इस सीट पर माकपा उम्मीदवार प्रदीप पाइन खड़े हैं। प्रदीप कहते हैं-गोपाल नंदी ईमानदार हैं लेकिन उन्होंने लोगों के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया।' वहीं गोपाल नंदी का कहना है-'मैंने हमेशा लोगों के लिए खड़े होने की कोशिश की है। वह भी मुझसे प्यार करते हैं। मुझे विश्र्वास है कि इस बार भी मैं नहीं हारूंगा।'