समय से पहले लोस चुनाव नहीं : रावत
मौजूदा राजनीतिक हालात में लोकसभा चुनाव समय से पहले कराने की संभावनाओं को खारिज करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ओमप्रकाश रावत ने कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है।
-चुनाव प्रक्रिया की गड़बड़ी उजागर करने वालों की पहचान रहेगी गुप्त
-कर्नाटक चुनाव में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू एप हर चुनाव में होगा अनिवार्य
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राज्य ब्यूरो, कोलकाता : मौजूदा राजनीतिक हालात में लोकसभा चुनाव समय से पहले कराने की संभावनाओं को खारिज करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ओमप्रकाश रावत ने कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है। चुनाव निर्धारित समय पर ही होगा। चुनाव आयोग कानून के तहत काम करता है। किसी भी सदन की मियाद खत्म होने के छह माह के अंदर ही चुनाव आयोग अधिसूचना जारी कर सकता है।
रावत ने शनिवार को मर्चेंट्स चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (एमसीसीआइ) द्वारा आयोजित परिचर्चा सत्र में यह बातें कही। लोकसभा चुनाव समय से पूर्व कराने का कोई सुझाव मिलने के सवाल पर रावत ने कहा कि ऐसा कोई सुझाव नही मिला है। चुनाव आयोग को चुनाव का कार्यक्रम और तिथि तय करने का अधिकार है। जहां तक समय पूर्व चुनाव कराने का सवाल है तो आयोग कानून के तहत सदन की मियाद खत्म होने के छह माह के अंदर कभी भी अधिसूचना जारी करने और चुनाव की घोषणा करने के लिए स्वतंत्र है।
लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने के सवाल पर रावत ने कहा कि इस संबंध में आयोग ने 2015 में सरकार को सुझाव दिए थे। इसके लिए संविधान में संशोधन और कानून में बदलाव की आवश्यकता है। ढांचागत सुविधा विकसित करने की भी जरूरत पड़ेगी। इस बारे में सभी सुझाव सरकार को दिए गए थे। यह प्रस्ताव विधि आयोग के पास है। इससे अधिक जानकारी आयोग के पास नहीं है।
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इलेक्टरल बांड के प्रभाव का
आकलन करेगा आयोग : रावत
: मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि पूरी चुनाव प्रक्रिया को भ्रष्टाचार मुक्त रखने और धन-बल का इस्तेमाल रोकने के लिए आयोग कारगर उपाय कर रहा है। चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों द्वारा धन जुटाने के लिए इलेक्टरल बांड जारी करने के सरकार के फैसले पर भी विचार कर रहा है। आयोग इसके प्रभावों पर गहन आकलन करेगा। संबंधित पहलुओं पर विचार करने और तथ्यों का आकलन करने के बाद आयोग इसे आम जनता के लिए भी सार्वजनिक करेगा और सरकार को भी अवगत कराएगा।
रावत ने कहा कि बांड के भारतीय राजनीति पर बुरा असर नहीं पड़ने का आश्वासन दिया गया है इसलिए आयोग इस बारे में किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इसके प्रभावों को देखते हुए संबंधित सभी पहलुओं पर गौर करेगा। चुनाव में धन-बल के इस्तेमाल रोकने के लिए आयोग सख्त कदम उठा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान अकेले तमिलनाडु से 700 करोड़ रुपये नकद वसूले गए थे। कर्नाटक चुनाव में 180 करोड़ रुपये जब्त किए गए।
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1000 राजनीतिक पार्टियां होंगी सूची से बाहर
रावत ने कहा कि 30 हजार से अधिक पंजीकृत राजनीतिक पार्टियां हैं। इसमें करीब एक हजार पार्टियां निष्क्रिय है। उन्हें पत्र भेजने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिलता है। आयोग ऐसी एक हजार निष्क्रिय राजनीतिक पार्टियों को सूची से बाहर करेगा।
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बैलेट पेपर नहीं, ईवीएम से ही होंगे चुनाव: रावत
कोलकाता : मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि राजनीतिक दलों के लिए अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ना बहाना बन गया है। फिर से मतपत्र से चुनाव कराने के सवाल पर रावत ने कहा कि वीवीपैट युक्त ईवीएम से ही चुनाव होंगे। मतपत्र की ओर फिर वापस लौटने का सवाल ही नहीं उठता है। रावत ने कहा कि निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़ी गड़बड़ियों और गलत तौर-तरीकों को आयोग के मोबाइल एप के जरिए उजागर करने वालों की पहचान को सुरक्षित रखा जाएगा। हाल ही में आयोग द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किए गए मोबाइल एप के जरिए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान गड़बड़ियों की 780 शिकायतें मिली थीं। रावत ने बताया कि वीडियो फॉर्मेट में इन शिकायतों की जाच की जा रही है। उन्होंने कहा कि आयोग को वीडियो के जरिए शिकायतें भेजने वालों की पहचान उजागर न हो, इसके लिए हम हर संभव कदम उठाएंगे।' यह मोबाइल एप चुनाव में गड़बड़ियों की आयोग से सबूत सहित शिकायत करने के लिए आम आदमी को अधिकार संपन्न बनाता है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में यह सुविधा पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई थी, जिसे अब भविष्य में प्रत्येक चुनाव में अनिवार्य रूप से सुचारु रखा जाएगा। एक बार फिर राजनीतिक दलों की ओर से ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाये जाने के सवाल पर रावत ने इसे खारिज करते हुये कहा-'निश्चित रूप से इस व्यवस्था में शक करने की बिल्कुल गुंजाइश नहीं है।' इस मौके पर राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी आरिज आफताब समेत एमसीसीआइ के अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।