West Bengal: चाय उद्योग के लिए वित्त वर्ष 2021-22 चुनौतीपूर्ण : रिपोर्ट
उत्पादन की लागत नीलामी में प्राप्त होने वाले मूल्य से अधिक एसोचैम चाय क्षेत्र परिषद के अध्यक्ष मनीष डालमिया ने कहा कि बदलती परिस्थतियां विभिन्न हितधारकों के बीच अधिक सहयोग की मांग करती है और तत्काल इस बात की जरुरत है कि घरेलू खपत के स्तर को बढ़ाया जाए।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। भारतीय चाय उद्योग के लिए वित्त वर्ष 2021-22 एक चुनौतीपूर्ण वर्ष होगा क्योंकि उत्पादन की लागत, नीलामी में प्राप्त होने वाले मूल्य से अधिक है। उद्योग मंडल एसोचैम और और रेटिंग एजेंसी इक्रा की संयुक्त रूप से तैयार की गई एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दिनों में थोक चाय उद्योग के लिए वित्त वर्ष 2020-21 सबसे अच्छे साल में से एक साबित हुआ है लेकिन इसकी स्थिरता एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। इसमें कहा गया है कि श्रम लागत में वृद्धि हुई है, उत्पादन की मात्रा बढ़ी है लेकिन प्रति व्यक्ति घरेलू खपत लगभग स्थिर बनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, इससे कीमतों पर दबाव पड़ा है और वित्त वर्ष 2021-22 एक और चुनौतीपूर्ण वर्ष होने की आशंका है।
एसोचैम चाय क्षेत्र परिषद के अध्यक्ष, मनीष डालमिया ने यहां संवाददाताओं से कहा कि बदलती परिस्थतियां, विभिन्न हितधारकों के बीच अधिक सहयोग की मांग करती है और तत्काल इस बात की जरुरत है कि घरेलू खपत के स्तर को बढ़ाया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग को अच्छी गुणवत्ता वाली और पारंपरिक किस्म (जिसे निर्यात बाजारों में अधिक स्वीकृति मिलती है) की अधिक मात्रा में चाय के उत्पादन पर अधिक ध्यान देना चाहिए। आइसीआरए के उपाध्यक्ष कौशिक दास ने कहा कि कीमतों पर दबाव और उत्पादन की लागत, विशेष रूप से मजदूरी में वृद्धि ने उद्योग को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि चाय बागान में प्रति कर्मचारी की उत्पादकता को बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा कि छोटे चाय उत्पादकों द्वारा उत्पादन बढ़ने से भी कीमतों पर दबाव पड़ा है और कंपनियों के परिचालन मार्जिन में गिरावट आई है।