खागरागढ़ विस्फोट कांड में गुनाह कबूल करने वाले जेएमबी के 4 आतंकियों को 7 साल का कारावास
एनआइए की विशेष अदालत ने सुनाई सजा मामले में सजा पाने वालों की संख्या बढ़कर हुई 30
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। खागरागढ़ विस्फोट कांड में गुनाह कबूल करने वाले जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के चार आतंकियों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की विशेष अदालत ने सात-सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। सजा पाने वालों के नाम मोहम्मद यूनुस, मतिउर रहमान, जियाउल हक और जाहिरुल शेख हैं।
न्यायाधीश प्रसेनजीत विश्वास ने कारावास के साथ ही चारों पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसका भुगतान नहीं करने पर पांच-पांच महीने की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। अदालत ने अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई है, हालांकि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। चारों आतंकियों को कड़ी सुरक्षा में अदालत में पेश किया गया। अदालत सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पेशी के साथ ही उन्होंने न्यायाधीश के सामने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उनके अधिवक्ता ने गुनाह कबूल करने का हवाला देते हुए उन सबकी सजा कम करने का अनुरोध किया। सारे पहलुओं पर गौर करने के बाद अदालत ने फैसला सुनाया।
एनआइए के अधिवक्ता श्यामल घोष ने बताया कि पिछले साल इस मामले में दो महिलाओं समेत 26 लोगों को अदालत दोषी करार दे चुकी है और वे सभी सजा काट रहे हैं। इन चारों को मिलाकर सजा पाने वालों की कुल संख्या अब 30 हो गई है। अभी भी चार लोगों के खिलाफ मामला चल रहा है, जिनमें सलाउद्दीन सालेहान नामक आरोपित फरार है। वह जेएमबी का अंतरराष्ट्रीय प्रमुख बताया जा रहा है। तीन के मामले पर भी जल्द सुनवाई पूरी होगी।
गौरतलब है कि चार आतंकियों के गुनाह कबूल कर लेने से अदालत को फैसले पर पहुंचने के लिए 629 गवाहों की गवाही की जरूरत नहीं पड़ी। वर्तमान में चारों प्रेसीडेंसी जेल में बंद हैं। उनके अधिवक्ता ने बताया कि गवाहों की गवाही पूरी होने में बहुत लंबा वक्त लग जाएगा। यही सोचकर चारों ने अपना गुनाह कबूल करने का फैसला किया था और अपने आवेदन में यह भी कहा था कि अदालत उन्हें उनके गुनाहों की जो भी सजा देगी, वे उसे स्वीकार करेंगे। गौरतलब है कि दो अक्टूबर, 2014 को बंगाल के बर्दवान जिले के खागरागढ़ के एक मकान में हुए विस्फोट में दो आतंकी मारे गए थे जबकि तीसरा घायल हो गया था। पुलिस ने घटनास्थल से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किया था। खागरागढ़ विस्फोट कांड की अदालती कार्यवाही लंबी जांच प्रक्रिया के बाद शुरू हुई थी।