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जबरन अंडरगारमेंट खोलने की कोशिश भी दुष्कर्म के समान, कलकत्ता हाई कोर्ट की मामले में दो टूक

आरोप है कि रवि ने सात मई 2007 को शाम साढ़े छह बजे के करीब नाबालिग लड़की को आइसक्रीम का लालच देकर घर के पास सुनसान इलाके में ले गया। उसके बाद नाबालिग से अंतर्वस्त्र (पैंटी) खोलने को कहा लेकिन नाबालिग इसके लिए राजी नहीं हुई।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghPublished: Tue, 07 Feb 2023 08:26 PM (IST)Updated: Tue, 07 Feb 2023 08:26 PM (IST)
जबरन अंडरगारमेंट खोलने की कोशिश भी दुष्कर्म के समान, कलकत्ता हाई कोर्ट की मामले में दो टूक
जबरन अंडरगारमेंट खोलने की कोशिश भी दुष्कर्म के समान

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: जबरन अंतर्वस्त्र खोलकर नाबालिग को लिटाना भी दुष्कर्म के समान है। पिछले दिनों कलकत्ता हाई कोर्ट ने ऐसा फैसला सुनाया है। इस मामले में भले ही नाबालिग के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था, लेकिन कोर्ट ने इसे अपराध में शामिल माना है। दक्षिण दिनाजपुर के बालुरघाट जिला एवं सत्र न्यायालय के फैसले में रवि राय नाम के एक व्यक्ति को एक नाबालिग के खिलाफ यौन अपराध का दोषी पाया गया था। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है और इस तरह की हरकत को अपराध माना है।

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आइसक्रीम का लालच देकर दुष्कर्म की कोशिश

आरोप है कि रवि ने सात मई 2007 को शाम साढ़े छह बजे के करीब नाबालिग लड़की को आइसक्रीम का लालच देकर घर के पास सुनसान इलाके में ले गया। उसके बाद नाबालिग से अंतर्वस्त्र (पैंटी) खोलने को कहा, लेकिन नाबालिग इसके लिए राजी नहीं हुई। आरोप के अनुसार इसके बाद उसने खुद ही नाबालिग का अंतर्वस्त्र खोला और उसे जबरन लिटा दिया। नाबालिग के चीखने-चिल्लाने पर आसपास के लोग मौके पर आ गए। पिटाई के बाद लोगों ने रवि को पुलिस को सौंप दिया।

छह महीने के सश्रम कारावास की सजा

मामले में नवंबर, 2008 में रवि को छह महीने के सश्रम कारावास के साथ साढ़े पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। साथ ही तीन हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया था। करीब 15 साल पहले निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए रवि ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। भले ही उच्च न्यायालय में याचिका में उसने नाबालिग को पीटने का अपराध कबूल कर लिया, लेकिन दावा किया कि वह नाबालिग को प्यार कर रहा था, इसलिए उसे लिटा दिया, अपराध का कोई इरादा नहीं था। तीन फरवरी को हाई कोर्ट की एकल पीठ की न्यायमूर्ति अनन्या बनर्जी ने याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया।

निचली अदालत का फैसला बरकरार

न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास अपनी यौन इच्छा को पूरा करने के अलावा नाबालिग को आइसक्रीम देने का कोई कारण नहीं था। तैयारी के क्रम में उसने पीड़िता को आइसक्रीम का लालच दिया और फिर उसे सुनसान जगह पर ले गया। इसके बाद उसने पीड़िता से अंतर्वस्त्र खोलने को कहा। नहीं मानने पर उसने जबरन नाबालिग का अंतर्वस्त्र खोल दिया तथा लिटा दिया। यह दुष्कर्म जैसे अपराध के प्रयास को संदर्भित करता है। नाबालिग की मेडिकल जांच में शारीरिक चोट या यौन शोषण का कोई सबूत नहीं मिला था। भारतीय दंड संहिता की धारा 375 दुष्कर्म के अपराध को यौन उत्पीड़न के रूप में मानती है।

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