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West Bengal Assembly Election Fifth Phase: पांचवें चरण के मतदान से पहले बंगाल पहुंच रहे 11 और पुलिस पर्यवेक्षक

West Bengal Assembly Election 2021 बंगाल में पहले चरण के मतदान से ही हिंसा का दौर जारी है। चौथे चरण में कूचबिहार की घटना के बाद आयोग बेहद सतर्क हो गया है। शेष चरणों में निर्बाध निष्पक्ष व शांतिपूर्ण तरीके से मतदान कराने के लिए यह कदम उठाया जा रहा।

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 09:27 AM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 10:46 AM (IST)
West Bengal Assembly Election Fifth Phase: पांचवें चरण के मतदान से पहले बंगाल पहुंच रहे 11 और पुलिस पर्यवेक्षक
पांचवें चरण के मतदान से पहले बंगाल पहुंच रहे 11 और पुलिस पर्यवेक्षक

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। चुनाव आयोग ने बंगाल विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण के मतदान से पहले सूबे में पुलिस पर्यवेक्षकों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है। आयोग सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 11 और पुलिस पर्यवेक्षक बंगाल पहुंच रहे हैं।

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गौरतलब है कि जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, उनमें से बंगाल में ही पुलिस पर्यवेक्षकों की संख्या सबसे अधिक है, बावजूद इसके चुनावी हिंसा की घटनाओं पर अंकुश लगाया नहीं जा सका है। बंगाल में पहले चरण के मतदान से ही हिंसा का दौर जारी है। उल्लेखनीय है कि चुनावी हिंसा के लिए कुख्यात रहे पश्चिम बंगाल में इस बार भी चुनाव को शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न कराने में चुनाव आयोग सफल नहीं रहा है। मतदान से पहले शांतिपूर्वक और निष्पक्ष माहौल में कराने के दावे आयोग की ओर से किये गये थे। लेकिन फिलहाल चार चरणों के चुनाव के दौरान ये दावे धरे के धरे रह गये हैं और हिंसा लगातार जारी है। चौथे चरण में कूचबिहार जिले के शीतलकूची की घटना के बाद आयोग बेहद सतर्क हो गया है। शेष चरणों में निर्बाध, निष्पक्ष व शांतिपूर्ण तरीके से मतदान कराने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।

गौरतलब है कि गत सोमवार को चुनाव पर्यवेक्षक अजय नायक व विवेक दुबे ने केंद्रीय बल के प्रमुखों के साथ बैठक की थी। पहले 20 पुलिस पर्यवेक्षकों की नियुक्ति पर विचार किया गया था लेकिन बाद में 11 की नियुक्ति पर सहमति बनी। बंगाल में इस समय 66 चुनाव पर्यवेक्षक हैं, जो 20 जगहों से काम कर रहे हैं। 

शीतलकुची जैसी घटना पांचवें चरण के मतदान के दौरान न हो, और किसी भी आपातकालीन परिस्थिति से तत्काल निबटा जा सके, इसको ध्यान में रखकर ही यह निर्णय लिया गया है। साधारणतया एक पुलिस पर्यवेक्षक पर तीन से पांच विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी रहती है। कभी-कभी यह संख्या बढ़कर छह हो जाती है। अब और अधिक पर्यवेक्षकों की संख्या बढ़ जाने के बाद मतदान प्रक्रिया पर निगरानी एवं समन्वय में मदद मिलेगी।


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