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West Bengal : आलू बीज के दाम में उछाल से परेशान किसान

पिछले वर्ष आलू बीज प्रति किलो 15 से 30 रुपए थे इस साल किसानों को 100 प्रति किलो के दर से आलू बीज खरीदना पड़ रहा है। पिछले वर्ष आलू के सीजन में ओला वृष्टी के कारण हुए नुकसान का बोझ इस साल भी किसानों को ढोना पड़ रहा है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 07:44 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 07:44 AM (IST)
West Bengal : आलू बीज के दाम में उछाल से परेशान किसान
आलू बीज के दाम में उछाल से परेशान किसान

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। पिछले वर्ष आलू के सीजन में ओला वृष्टी के कारण हुए नुकसान का बोझ इस साल भी किसानों को ढोना पड़ रहा है। इस साल आलू बीज की कीमत तीन गुना ज्यादा देना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष आलू बीज प्रति किलो 15 से 30 रुपए थे, वहीं इस साल 100 रुपए प्रति किलो के दर से आलू बीज खरीदना पड़ रहा है। इसके साथ ही खाद व कीटनाशक की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। कुल मिलाकर इस साल आलू की लागत इतनी ज्यादा है कि किसानों की कमर टूट रही है।

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परेशान हैं किसान

मालदह के महीषबथानी इलाके के आलू किसान सुजित राजवंशी ने बताया कि इस बार 50 किलो आलू बीच 5 हजार रुपए में खरीदना पड़ा। एक बीघा खेत में कम से कम 50 किलो के चार पैकेट बीज खऱीदना पड़ता है। उस पर खाद, सिंचाई, कीटनाशक, मजदूरी कुल मिलाकर एक बिघा आलू खेत में 35 से 40 हजार रुपए की लागत आ रही है। उसने बताया कि फसल अच्छा हो तो एक बीघा खेत में 50 क्विंटल आलू उत्पादित होता है। ऐसे में 12 रुपए प्रतिकिलो से नीचे किसान आलू नहीं बेच सकता। उस पर अगर पिछले वर्ष की तरह प्राकृतिक आपदा आ जाए तो आत्महत्या करने के अलावा कोई उपाय नहीं बचेगा। क्योंकि पिछले वर्ष महाजन से ऋण लेकर खेती की थी। नुकसान होने के कारण नहीं चुका पाया।

किसानों ने लिया ऋण

इस साल और ज्यादा ऋण लिया है। इस बार भी नुकसान हुआ तो आफत आ जाएगी। इलाके के एक और किसान गोविंद राजवंशी ने बताया कि पिछले वर्ष 26 फरवरी की रात ओला वृष्टी में आलू का सारा फसल खेत में ही बर्बाद हो गया था। उसने कहा कि पिछले वर्ष आलू बीज डेढ़ से 2 हजार रुपए बोरी खरीदा था। इस साल 5 हजार रुपये 50 किलो, खाद 1280 रुपए बोरी के दर से खरीदना पड़ रहा है। हर तरफ कालाबजारी चल रही है। सरकार की इस पर कोई ध्यान नहीं है।

उसने बताया पिछले वर्ष के नुकसान का मुआवजा अब तक नहीं मिला है। स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि, सांसद, विधायक सभी देख कर सिर्फ आश्वासन देकर चले गए ना तो मुआवजा मिला ना ही किसान क्रेडिट कार्ड का नविकरण हुआ। पिछले वर्ष के ऋण को माफ नहीं किया गया। अब महाजन से ऊंची सूद पर ऋण लेकर आलू की खेती करने को मजबूर हैं। 


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