मशहूर अदाकारा शर्मिला टैगोर ने लैंगिक समानता पर दिया जोर
बीते जमाने की मशहूर अदाकारा शर्मिला टैगोर ने लैंगिक समानता पर जोर देते हुए कहा कि माता-पिता को समझना चाहिए कि लड़कियां लड़कों से कम नहीं हैं।
कोलकाता, [जागरण संवाददाता] । बीते जमाने की मशहूर अदाकारा शर्मिला टैगोर ने लैंगिक समानता पर जोर देते हुए कहा कि माता-पिता को समझना चाहिए कि लड़कियां लड़कों से कम नहीं हैं।
महानगर में आयोजित 11वें ग्लोबल डाक्टर्स समिट के समापन समारोह को संबोधित करते हुए शर्मिला ने कहा-'माता-पिता को बताया जाना चाहिए कि अगर वे लड़कियों के पालन-पोषण एवं शिक्षा में निवेश करेंगे तो आगे चलकर वे भी परिवार एवं समाज के प्रति योगदान करेंगी।'
73 वर्षीया अभिनेत्री मानती हैं कि जब तक लोगों की मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक कुछ नहीं होगा। इस समस्या की जड़ में देखना जरुरी है। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ सरकारी पहल पर निर्भर रहने से नहीं चलेगा। घरेलू स्तर पर रवैया बदलने की जरुरत है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें कभी लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ा है, इसपर शर्मिला ने कहा-'मेरा पालन-पोषण बंगाली परिवार में हुआ। हम तीन लड़कियां थीं और हमने कभी खुद को पुरूषों से कम महसूस नहीं किया।
शर्मिला ने हालांकि यह जरूर कहा-'जब मैंने 1959 में सत्यजीत रे की फिल्म 'अपूर संसार' से फिल्मी दुनिया में कदम रखा था तब स्कूल प्रबंधन के विरोध के कारण स्कूल छोड़ना पड़ा था लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी मेरे फिल्मों में काम करने पर ऐतराज नहीं जताया। जब 1969 में मैंने मंसूर अली खान पटौदी से शादी की थी, तब भी मेरे लिए कोई दरवाजा बंद नहीं हुआ था। मुझे उस समय भी किसी बाधा का सामना नहीं करना पड़ा था।
मेरी नानी की पांच साल की उम्र में शादी हुई थी और उनके नौ बच्चे थे। मेरी मां को भी लड़कों के साथ पढ़ने की अनुमति नहीं थी।' शर्मिला ने उम्मीद जताई कि युवा पीढ़ी लैंगिक अंतर को दूर करेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा की बदौलत लड़कियां नई ऊंचाइयां छू सकती हैं और हर क्षेत्र में खुद को स्थापित कर सकती हैं।