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देश में हर साल 35,000 से ज्यादा बच्चे कटे होंठ की समस्या साथ होते हैं पैदा

हाइलाइटर-बंगाल में क्लेफ्ट सर्जरी का समर्थन करने के लिए डब्ल्यूबीएसईटीसीएलव ने स्माइल ट्रेन इंडिय

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 09:03 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 09:12 PM (IST)
देश में हर साल 35,000 से ज्यादा बच्चे कटे होंठ की समस्या साथ होते हैं पैदा
देश में हर साल 35,000 से ज्यादा बच्चे कटे होंठ की समस्या साथ होते हैं पैदा

हाइलाइटर-बंगाल में क्लेफ्ट सर्जरी का समर्थन करने के लिए डब्ल्यूबीएसईटीसीएलव ने स्माइल ट्रेन इंडिया से किया करार

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राज्य ब्यूरो, कोलकाता : देश में हर साल 35,000 से अधिक बच्चे अपने चेहरे पर कटे होंठ या तालु की समस्या साथ पैदा होते हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि अनुपचारित कटे होंठ वाले हजारों बच्चे अलग-थलग रहते हैं। यह बात स्माइल ट्रेन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक ममता कैरोल ने कही है।

उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि अनुपचारित कटे होंठ वाले हजारों बच्चों को खाने, सास लेने, सुनने और बोलने में कठिनाई होती है। क्योंकि उनके परिवार आर्थिक तंगी के कारण कटे होंठ का इलाज नहीं कर सकते। इससे उनके जीवन में कोई बदलाव नहीं आता। इस मौके पर बंगाल सरकार की ट्रासमिशन कंपनी डब्ल्यूबीएसईटीसीएल ने अपनी सीएसआर गतिविधियों के हिस्से के रूप में बंगाल में 230 क्लेफ्ट सर्जरी का समर्थन करने के लिए दुनिया के सबसे बड़े क्लेफ्ट केंद्रित एनजीओ, स्माइल ट्रेन के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की। ये सर्जरिया कोलकाता में स्माइल ट्रेन के उपचार केंद्रों में शामिल इंस्टीट्यूट आफ चाइल्ड हेल्थ और रेपोज क्लीनिक एंड रिसर्च सेंटर प्राइवेट लिमिटेड में की जाएगी।

शाम्या राय चौधरी, निदेशक (एचआर एंड ए), डब्ल्यूबीएसईटीसीएल ने कहा कि एक बार क्लेफ्ट सर्जरी करवाने के बाद हमने बच्चों में प्रभाव और परिवर्तन देखा है। स्माइल ट्रेन के पार्टनर सर्जन डा पार्थप्रतिम गुप्ता, इंस्टीट्यूट आफ चाइल्ड हेल्थ, कोलकाता में स्माइल ट्रेन प्रोजेक्ट के निदेशक ने कहा कि कटे होंठ और तालू के उपचार में एक निश्चित समय से अधिक की देरी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे बोलने में कठिनाई, आर्थोडोंटिक समस्याओं इत्यादि जैसी बड़ी समस्याएं होती हैं। रिपोज क्लिनिक एंड रिसर्च सेंटर, कोलकाता में स्माइल ट्रेन कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे प्लास्टिक सर्जन डा मनीष सोंथालिया ने कहा कि दुनिया भर में कटे होंठ और तालू वाले कई बच्चे हैं, जिन्हें मदद की जरूरत है, लेकिन पैसे की कमी और इसकी स्थिति के बारे में जागरूकता और ज्ञान की कमी के कारण उन्हें समय पर देखभाल नहीं मिल पाती है।


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