West Bengal Assembly Election 2021: नेताओं के बिगड़े बोल पर चुनाव आयोग का चला चाबुक
West Bengal Assembly Election 2021 चुनाव आयोग ने भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और हाबरा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी राहुल सिन्हा के भी प्रचार करने पर 48 घंटे तक की रोक लगा दी है। राहुल सिन्हा के बयान से मानव जीवन को नुकसान पहुंच सकता है।
कोलकाता, स्टेट ब्यूरो। चुनाव के इस मौसम में अनाप-शनाप की बयानबाजी पर रोक लगनी ही चाहिए। चाहे वह मुख्यमंत्री हो या फिर नेता। बंगाल विधानसभा चुनाव में पिछले दो दिनों के अंदर कुछ ऐसी ही बयानबाजी को लेकर चुनाव आयोग का चाबुक चला है। मुस्लिमों को एकजुट होने वाले बयान को लेकर सोमवार को पहले चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रचार करने पर 24 घंटे का प्रतिबंध लगा दिया। इसके विरोध में उन्होंने तीन घंटे तक धर्मतल्ला में गांधी मूíत के सामने धरना दिया। फिर आयोग ने भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और उत्तर 24 परगना जिले के हाबरा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी राहुल सिन्हा के भी प्रचार करने पर 48 घंटे तक की रोक लगा दी।
इसके अलावा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष को दिया कारण बताओ नोटिस जारी कर बुधवार सुबह दस बजे तक जवाब देने को कहा गया है। साथ ही नंदीग्राम के भाजपा प्रत्याशी सुवेंदु अधिकारी को भी सतर्क किया गया है। चुनाव आयोग ने कार्रवाई को लेकर कहा है कि राहुल सिन्हा के बयान से मानव जीवन को नुकसान पहुंच सकता है। इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है और चुनाव प्रक्रिया बाधित हो सकती है। वह मानव जीवन का मजाक उड़ा रहे हैं। इसीलिए राहुल सिन्हा मंगलवार दोपहर 12 बजे से अगले 48 घंटे तक किसी प्रकार का प्रचार नहीं कर पाएंगे। चुनाव आयोग ने राहुल सिन्हा के बयान की निंदा की है और चेतावनी दी है कि चुनाव आचार संहित लागू होने तक वह सार्वनजिनक रूप से ऐसे बयान नहीं देंगे।
दरअसल सिन्हा ने शीतलकूची गोली कांड पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि बूथ पर दखल करने के बाद यदि चार लोगों की जगह आठ लोगों की भी मौत होती है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इस प्रतिबंध को लेकर सिन्हा ने कहा कि छोटे पाप की बड़ी सजा मुङो मिली है। मैं आयोग के निर्देश का पूरा पालन करते हुए आगामी 48 घंटे तक कोई प्रचार नहीं करूंगा। दूसरी ओर ममता बनर्जी ने प्रतिबंध के खिलाफ तीन घंटे तक धरना दिया। वहीं उनके समर्थक बुद्धिजीवियों ने विरोध प्रदर्शन किया और इस रोक को गणतंत्र का काला दिन करार दिया। वहीं भाजपा नेताओं के खिलाफ जब कार्रवाई हुई तो इसका किसी ने विरोध नहीं किया। खैर यह तो राजनीति है, लेकिन आयोग को ऐसे बयान देने वालों के खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। चाहे ममता हों या फिर कोई और। चुनावी सभा में इन्होंने जो भी बयान दिए हैं उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।