DURGA PUJA : मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारा के प्रांगण से लाई गई मिट्टी से तैयार किया गया दुर्गा प्रतिमा का मुख मंडल
कोरोना काल में कोलकाता की एक दुर्गोत्सव कमेटी ने पेश की सांप्रदायिक सद्भाव की अभिनव मिसाल। विभिन्न राजनीतिक दलों को एकजुट करने को उनके पार्टी कार्यालयों से मिट्टी लाकर मिलाई है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोरोना काल में कोलकाता की एक दुर्गोत्सव कमेटी ने सांप्रदायिक सद्भाव की अभिनव मिसाल पेश की है। कमेटी ने अपनी दुर्गा प्रतिमा का मुखमंडल मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारा के प्रांगण से लाई गई मिट्टी से तैयार किया है। कोलकाता के भवानीपुर चक्रबेरिया सार्वजनीन की इस पहल की भूरि-भूरि प्रशंसा की जा रही है।
दुर्गा प्रतिमा का निर्माण सदियों से परंपरा चली आ रही है
मुख मंडल तैयार करने वाले मूर्तिकार पूर्णेंदु दे ने बताया-' वर्करों के आंगन से लाई गई मिट्टी से दुर्गा प्रतिमा का निर्माण शुरू करने की सदियों से परंपरा चली आ रही है लेकिन सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देने के लिए हमने मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारा के प्रांगण से लाई गई मिट्टी से दुर्गा प्रतिमा का मुख मंडल तैयार किया है।
दुर्गापूजा ऐसा पर्व, सदियों पुरानी परंपरा को कायम रखें हम
बंगाल में दुर्गापूजा ऐसा पर्व है, जिसमें सभी जाति, धर्म, वर्ग के लोग मिलकर शामिल होते हैं और आनंद से इसे मनाते हैं।' पूर्णेंदु दे ने आगे कहा-' हम हालांकि सदियों पुरानी परंपरा को भी कायम रखे हुए हैं। मुख मंडल तैयार करने में वर्करों के आंगन से लाई गई मिट्टी का भी इस्तेमाल किया गया है।
राजनीतिक दलों के कार्यालयों से मिट्टी लाकर मिश्रित की
इतना ही नहीं, राजनीतिक दलों को एकजुट करने के लिए तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, माकपा व भाजपा के पार्टी कार्यालयों से भी मिट्टी लाकर इसमें मिश्रित किया गया है।'
पुलिसकर्मियों के सम्मान में थानों से मिट्टी लाकर मिलाई
क्लब के एक अधिकारी ने बताया-'हम चाहते हैं कि सभी समुदाय के लोग व राजनीतिक दल एकजुट होकर कोरोना महामारी से मुकाबला करें। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पहली पंक्ति में खड़े पुलिसकर्मियों के सम्मान में विभिन्न थानों से मिट्टी लाकर भी इसमें मिलाई गई है।
भवानीपुर चक्रबेरिया सार्वजनीन की पूजा का यह 75वां वर्ष
गौरतलब है कि भवानीपुर चक्रबेरिया सार्वजनीन की पूजा का यह 75वां वर्ष है, हालांकि कोरोना महामारी को देखते हुए कोई बड़ा आयोजन नहीं किया जा रहा है, बल्कि बेहद छोटे पैमाने पर पूजा की जाएगी। पंडाल व प्रतिमा, दोनों का स्वरूप छोटा होगा।