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Durga Puja पंडालों में आंगुतकों की एंट्री बैन करने के फैसले पर मिलीजुली प्रतिक्रिया, तृणमूल बोली- आयोजकों की मेहनत बेकार

हाईकोर्ट ने राज्य के सभी पूजा पंडालों को कंटेनमेंट जोन घोषित करने का दिया है निर्देश। विपक्षी भाजपा ने जहां हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने अदालत के फैसले पर निराशा व्यक्त की है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 11:18 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 11:18 PM (IST)
Durga Puja पंडालों में आंगुतकों की एंट्री बैन करने के फैसले पर मिलीजुली प्रतिक्रिया, तृणमूल बोली- आयोजकों की मेहनत बेकार
तृणमूल नेताओं के इस फैसले पर अलग-अलग सुर सुनाई दिए हैं।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा सोमवार को पूरे बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों को कंटेनमेंट जोन घोषित किये जाने व आगंतुकों के पंडाल में प्रवेश पर रोक के फैसले पर राजनीतिक दलों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी भाजपा ने जहां हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने अदालत के फैसले पर निराशा व्यक्त की है। हालांकि तृणमूल नेताओं के इस फैसले पर अलग-अलग सुर सुनाई दिए हैं। 

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तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता व सांसद सौगत राय ने कहा, वह अदालत के निर्णय से दुखी हैं। इस फैसले से पूजा कमेटियों को काफी असुविधाएं होंगी। आयोजकों की पूरी मेहनत बेकार हो जायेगी। वहीं, तृणमूल के ही एक अन्य नेता व कोलकाता नगर निगम के प्रशासक बोर्ड के सदस्य अतीन घोष ने कहा कि अदालत का फैसला अच्छा है। 

उन्होंने कहा कि हम लोग सभी पूजा आयोजकों के साथ बैठक कर यह निर्णय करेंगे कि कैसे इस फैसले को अमल किया जाए। दूसरी ओर, भाजपा ने दुर्गा पूजा पंडालों में लोगों के प्रवेश पर रोक के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही सवाल भी किया है कि राज्य सरकार हाई कोर्ट के फैसले को लागू करेगी, इसमें संदेह है। 

प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि राज्य में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री लोगों को पूजा में शामिल होने के लिए उत्साहित कर रही हैं। दूसरे राज्यों में कोरोना को रोकने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन बंगाल सरकार कुछ नहीं कर रही है। 

राज्य में लगभग 37 हजार पूजा कमेटियां हैं। यदि प्रत्येक कमेटी में दो पुलिसकर्मी को भी तैनात किया जाये, तो लगभग 80 हजार पुलिसकर्मियों की जरूरत होगी। अब देखा जाय राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेश का पालन करती है या नहीं।


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