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यहां के दुर्गा पूजा पंडाल में उभरी कोलकाता के चर्चित रेड लाइट एरिया सोनागाछी की दास्तां

इस बार भी उत्तर कोलकाता में बना एक पंडाल चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पंडाल में यौन कर्मियों के जीवन और संघर्ष की दास्तां को उभारा गया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 13 Oct 2018 10:41 AM (IST)Updated: Sat, 13 Oct 2018 12:45 PM (IST)
यहां के दुर्गा पूजा पंडाल में उभरी कोलकाता के चर्चित रेड लाइट एरिया सोनागाछी की दास्तां
यहां के दुर्गा पूजा पंडाल में उभरी कोलकाता के चर्चित रेड लाइट एरिया सोनागाछी की दास्तां

कोलकाता, जेएनएन। बंगाल का विश्व प्रसिद्ध दुर्गापूजा अपनी सज्जा, थीम व कलाकारी को लेकर हर बार चर्चा में होती है। इस बार भी उत्तर कोलकाता में बना एक पंडाल चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पंडाल में यौन कर्मियों के जीवन और संघर्ष की दास्तां को उभारा गया है। उत्तर कोलकाता में अहिरिटोला युवकवृंद दुर्गा पूजा पंडाल तक जाने वाली सड़कों पर इस थीम को लेकर पेंटिंग भी बनाई गई हैं। इस पंडाल में सेक्स वर्कर्स के जीवन और उनके संघर्ष को दर्शाने की कोशिश की गई है।

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पंडाल को जाने वाली सड़क पर 300 फुट लंबी पेंटिंग बनाने के अलावा दोनों तरफ की दीवारों पर पेंटिंग बनाई गई है। पेंटिंग के माध्यम से सेक्स वर्कर के संघर्ष और उन परिस्थितियों को भी दिखाने की कोशिश की गई है जिसकी वजह से उन्हें यह काम करना पड़ता है। इस पंडाल के माध्यम से उत्तर कोलकाता के चर्चित रेड लाइट एरिया सोनागाछी को दर्शाने की कोशिश की गई है। मालूम हो कि सोनागाछी में हजारों की संख्या में सेक्स वर्कर रहती हैं।

पंडाल की थीम को 'उत्सारितो अलो' दिया गया है। इस थीम से दुर्गा पूजा के आयोजनकर्ता इन सेक्स वर्कर्स की समाज में सहभागिता और बढ़ाने और उन्हें वह सम्मान देने की कोशिश कर रहे जिसकी वो हक़दार हैं। बता दें दुर्गा पूजा के दौरान दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए इस्तेमाल मिट्टी में किसी वैश्यालय की मिट्टी मिलाने का चलन है।

अहिरिटोला युवकवृंद दुर्गा पूजा समिति के कार्यकारी अध्यक्ष उत्तम साहा ने कहा, 'हमारे रूढि़वादी समाज ने हमेशा से ही सेक्स वर्करों को उपेक्षा की नजर से देखा है। हम यह महसूस करने में असफल रहे हैं कि वे भी किसी की मां और बहन हैं। उनके पास भी एक परिवार है। लोगों की प्रताड़ना और घृणा की जगह उन्हें भी सम्मान और प्यार से जीवन जीने का अधिकार होना चाहिए।'

इस थीम को जमीन पर उतारने और कलाकृतियों को पेंट करने के लिए सेक्स वर्कर्स के लिए काम करने वाले एनजीओ दुरबार महिला समन्वय कमेटी को आमंत्रित किया गया था। संगठन की सचिव काजोल बोस ने कहा, 'हम पूजा समिति की पहल से बहुत खुश हैं और इस विषय को पूजा का केंद्र बनाना बहुत अच्छा लगा। 

रंगोली बयां करेगी सोनागाछी रेड लाइट एरिया के यौनकर्मियों के संघर्ष की कहानी
महालया के साथ ही पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्यौहार दुर्गापूजा का शुभारंभ हो गया। हर साल महानगर समेत राज्य भर में विभिन्न पूजा आयोजकों की ओर से विभिन्न थीम आधारित पूजा पंडाल, प्रतिमाएं व मंडप, लाइट आदि की सजावट की जाती है। वहीं इस बार उत्तर कोलकाता स्थित अहिरीटोला यूथ एसोसिएशन की ओर से सोनागाछी की यौन कर्मियों को लेकर एक रंगोली (भित्ति चित्र) बनाई गई है। इस रंगोली के माध्यम से एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स के जीवन व उनके संघर्ष को उकेरने की कोशिश की गई है। अहिरीटोला इलाके में 300 फीट लंबी सड़क पर रंगोली को बनाया गया है।

अहिरीटोला युवकवृंद पूजा कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष उत्तम साहा ने कहा कि इस रंगोली के पीछे हमारा उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है ताकि वे यौन कर्मियों के जीवन और संघर्ष को जान सकें। उन्होंने कहा कि रंगोली के माध्यम से अहिरीटोला से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित सोनागाछी के योनकर्मियों के जीवन को दर्शाया गया है।

आपको यहां बता दें कि मां दुर्गा की इन मूर्तियों को केवल मिट्टी से ही तैयार किया जाता है। इसके लिए नदी के किनारे की मिट्टी का उपयोग किया जाता है। इसमें किसी भी तरह की अन्‍य चीज नहीं मिलाई जाती है। आपको जानकर हैरत होगी कि इस मूर्ति की शुरुआत के लिए मूर्तिकार सबसे पहले उस स्‍थान की मिट्टी लाते हैं जिसे समाज से अलग माना जाता है। यह वह रेड लाइट इलाके होते हैं जहां पर देह व्‍यापार करने वाली महिलाएं रहती हैं। ऐसा करने के पीछे भी एक बड़ा कारण है। दरअसल, प्राचीन समय से इस तरह का काम करने वाली महिलाओं को समाज से अलग माना जाता रहा है। उनकी धार्मिक अनुष्‍ठानों में भी भागीदारी या तो नहीं रही या फिर नाम मात्र की ही रही है। ऐसे में दुर्गा पूर्जा के दौरान उनके यहां की मिट्टी से मां दुर्गा की मूर्ति की शुरुआत करने को माना जाता है कि इस बड़े धार्मिक अनुष्‍ठान में उनको भी विधिवत तौर पर शामिल किया गया है।


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