Chhath Puja 2020: घरों में ही उत्साह के साथ मनाया गया छठ महापर्व, व्रतियों ने कोरोना के अंत के लिए की प्रार्थना
कोरोना महामारी के कारण लोगों ने घरों की छत पर ही शुक्रवार को अस्ताचलगामी एवं शनिवार को उगते सूर्य देवता को अर्घ्य देकर छठ का पर्व मनाया। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए रिसड़ा नगरपालिका की ओर से कृत्रिम जलाशय बनाए गए थे।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोरोना महामारी के चलते इस बार बंगाल के हुगली ज़िले के रिसड़ा सहित अन्य स्थानों पर हजारों लोगों ने अपने-अपने घरों में ही शुक्रवार को अस्ताचलगामी एवं शनिवार को उगते सूर्य देवता को अर्घ्य देकर छठ का त्योहार मनाया। सूर्य देवता की आराधना के साथ कोरोना महामारी से बचने के लिए इस बार रिसड़ा इलाके में रह रहे बिहार एवं उत्तरप्रदेश के हजारों छठ व्रतियो ने अपने पूरे परिवार के साथ घर में ही बनाए गए कृत्रिम जलाशयों में फेरे लगाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और छठ पूजा का पालन किया। हालांकि रिसड़ा नगरपालिका की ओर से रिसड़ा के हिन्दी भाषी इलाकों में कई जगहों पर कृत्रिम जलाशय बनाए गए थे।
विश्व से कोरोना के अंत के लिए प्रार्थना
उस स्थान पर भी श्रद्धालुओं ने श्रद्धा पूर्वक सूर्य देवता का पूजन किया। शनिवार सुबह से रिसड़ा तथा उसके आस-पास के घरों में छठ के मशहूर गीत "बांस से ही बांस के बहंगिया या बहंगी लचकत जाए, होई ना बलमजी कहरिया दउरा घाटे पहुंचाए" गाने बज रहे थे। लेकिन कोरोना के चलते इस बार काफी कम संख्या में छठ पर्व मनाने वाले लोग अपने सिर पर दउरा लेकर गंगा घाटों पर जाते दिखे। यहां के रहने वाले अधिकांश लोग अपने घर के आंगन तथा छत पर ही छठ पूजन की तैयारी की थी। लोगों का कहना है कि छठ पूजा के दिन रिसड़ा के सभी घाटों पर हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ हुआ करतीं थी। लेकिन इस बार कोर्ट के आदेश के साथ स्वास्थ्य विधि का पालन करते हुए हम लोगों ने विश्व से कोरोना का अंत हो इस उद्देश्य से अपने अपनें घरों में ही छठ का त्योहार मनाया।
फूल एवं रंग-बिरंगी लाइटों से सजाये गये कृत्रिम जलाशय
रिसड़ा नगरपालिका के प्रशासक विजय सागर मिश्रा ने बताया कि पहले की तुलना में इस बार अधिकांश लोगों ने कोरोना काल में अपने घरों में ही छठ पूजा का पालन किया। जबकि रिसड़ा के विभिन्न गंगा घाटों पर प्रशासन की ओर से कोरोना महामारी के साथ लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया था। जबकि इन घाटों पर स्टीमर के सहारे विशेष निगरानी रखी गई थी। इधर घरों में बनाए गए कृत्रिम जलाशयों को लोगों ने फूल एवं रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया था।