सिटी ऑफ जॉय पर छाई खौफ की चादर, ड्रग तस्करों का मुफिद अड्डा बना कोलकाता
- सिटी ऑफ जॉय पर छाई खौफ की चादर - नेटवर्किग के जरिए नशीले पदाथरें का जाल फैलाने में
जागरण संवाददाता, कोलकाता : महानगर पर खौफ की चादर इस कदर हावी है कि पुलिस प्रशासन भी परेशान है। शहर में ड्रग तस्कर खासा सक्रिय हो गए और इस बात का खुलासा डार्क वेब पर आधारित एक ड्रग तस्कर समूह के दो सक्रिय सदस्यों के गिरफ्तारी के बाद हुआ है।
दिल्ली पुलिस ने इस समूह के दो ऐसे सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जो देश में नेटवर्किग के जरिए नशीले पदाथरें का जाल फैलाने में लगे हुए थे और बाहरी देशों से माल मंगवा कर यहां उसके खरीददारों तक पहुंचाने का काम करते थे। इधर, गिरफ्तार के बाद पूछताछ में इस बात का भी खुलासा हुआ कि वे महानगर कोलकाता को अपनी पहले सूची में रखे हुए थे। मिली जानकारी के मुताबिक ये पूरा खेल इंटरनेट आधारित है और इसके ग्राहक डार्क वेब के जरिए आर्डर दिया करते हैं। इनके नेटवर्क का विस्तार अमेरिका से लेकर जॉर्डन तक है और वे इन देशों से दवाओं का आयात करते हैं। इतना ही नहीं तमाम सोशल मीडिया के जरिए इसे ऑपरेट किया जाता है और चैट की जुबान को समझ पाना आसान नहीं होता है, क्योंकि सारी बातें कोड वर्ड में होती है और आर्डर के लिए खास साइन निर्धारित है, जिसे आमतौर पर कोई नहीं समझ पाएगा। वहीं आयातित दवाओं की कीमत उसकी मौलिक कीमत से 50 गुना अधिक होती है और लोगबाग इसके लिए इतने उतावले होते हैं कि वो कोई भी कीमत देने के लिए तैयार होते हैं।
महानगर कोलकाता के अलावा मुंबई, दिल्ली, चंडीगढ़, पुणे और गोवा में इसके बिचौलिए सक्रिय हैं। जाचकर्ता अधिकारी की मानें तो जाच के दौरान पता चला है कि इंटरनेट पर 12 ऐसे नेटवर्क है, जिसके जरिए विदेशी दवाओं की खरीद फरोख्त का खेल जारी है।
अंतर्राष्ट्रीय ड्रग ट्रैफिकर्स की पहचान अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि उनकी पहचान व स्थान संबंधी जानकारी गुप्त होती है। परिणाम स्वरुप, उन्हें ट्रैक करना बेहद मुश्किल होता है। इतना ही नहीं डार्क वेब का इस्तेमालकर्ता अपनी पहचान को गुप्त रखने के लिए नाना तरह के हथकंडे अपनाते हैं और खास बात यह है कि इसके इस्तेमाल कर्ता तकनीकी जानकार होते हैं, ऐसे में इनके फार्मूले को समझ पाना मुश्किल ही नहीं, फिलहाल के लिए नामुमकिन भी है। लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि गिरफ्तार किए गए तस्करों से अभी और भी कई राज खुलने बाकी है।