दशकों से अपराधियों का महफूज पनाहगार रहा कोलकाता, बंगाल से दर्जनों आतंकी पकड़े गए हैं
तीन दशक में कई कुख्यात अपराधियों व प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों की हुई है गिरफ्तारी। पाकिस्तानी रेंजर व आइएसआइ के सदस्य भी कोलकाता में हो चुके हैं गिरफ्तार। अंतरराष्ट्रीय सीमा शहर से सिर्फ तीन घंटे की दूरी पर है। नतीजतन सीमा पार करना बहुत आसान है।
इंद्रजीत सिंह, कोलकाता । कोलकाता में बुधवार को बंगाल एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में पंजाब के दो इनामी गैंगस्टर जयपाल भुल्लर और जसप्रीत जस्सी का मारा जाना कोलकाता के लिए कोई नई बात नहीं है। कोलकाता शुरू से ही अपराधियों के छिपने का महफूज ठिकाना रहा है। पिछले कुछ सालों में अकेले बंगाल से करीब दो दर्जन आतंकवादी पकड़े गए हैं। इनमें जेएमबी, अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी शामिल हैं। इसके अलावा पिछले तीन दशक में कोलकाता के विभिन्न इलाकों से दूसरे राज्यों के कई कुख्यात अपराधियों के साथ प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों की गिरफ्तारी हुई है।
दरअसल दशकों से अपराधी कोलकाता को सुरक्षित पनाहगार के रूप में चुनते आए हैं। राज्य के एक पुलिस अधिकारी के अनुसार महानगर में सियालदह, हावड़ा तथा कोलकाता तीन प्रमुख स्टेशन हैं, जिससे दूसरे राज्यों की संपर्क व्यवस्था बहुत ही सुगम है। इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय सीमा शहर से सिर्फ तीन घंटे की दूरी पर है। नतीजतन सीमा पार करना बहुत आसान है। कोलकाता में लाखों की भीड़ में घर किराए पर लेकर छिपना भी आसान है। यही वजह है कि दशकों से आतंकवादी, कुख्यात अपराधी तथा प्रतिबंधित संगठनों के सदस्य कोलकाता तथा उसके आसपास के जिलों में पनाह लेते आए हैं।
कई कुख्यात अपराधियों ने कोलकाता में ली थी पनाह
दिसंबर 1998 में एक व्यवसायी के अपहरण के मकसद से कोलकाता आए उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी बबलू श्रीवास्तव के दाहिना हाथ मंजीत सिंह मांगे को पंजाब पुलिस की टीम ने गिरफ्तार किया था। पुलिस के साथ मुठभेड़ में उसका एक साथी मारा गया था। 1998 में ही कोलकाता के लेकटाउन से डकैती गिरोह का सरगना वाजिद अकुंजी की गिरफ्तारी हुई थी, जो एक फ्लैट में छिपा था। तीस साल पहले 1991 में खालिस्तानी संगठन के सदस्य दंपती कोलकाता के तिलजला में पंजाब पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे। वे यहां किराए के मकान में छिपे हुए थे। 1993 में बब्बर खालसा समूह का एक सदस्य जो कोलकाता के भवानीपुर में छिपा हुआ था। पंजाब से आए उसके विरोधियों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। 2001 में पता चला था कि हूजी आतंकवादी समूह के आफताब अंसारी ने कोलकाता को आतंकवादियों को पनाह देने के लिए एक सुरक्षित शहर के रूप में चुना था। जनवरी, 2002 में अमेरिकन सेंटर पर हमले के अपराधी कोलकाता के तिलजला और तपसिया में छिपे हुए थे।
दस्यु से सांसद बनीं फूलन देवी की हत्या का दोषी शेर सिंह राणा तिहाड़ जेल से भागकर कोलकाता में छुपा था और मई 2006 में उसकी भी कोलकाता के धर्मतल्ला इलाके से गिरफ्तारी हुई थी। प्रतिबंधित आतंकवादी समूह अल बदर ने 2008 में बेंगलुरु में एक आइटी कंपनी के कार्यालय पर हमला किया था। बाद में कोलकाता पुलिस के खुफिया विभाग को पता चला कि तीन संदिग्धों में से एक मोहम्मद फैयाज का पासपोर्ट महानगर के बेंटिंक स्ट्रीट पर फर्जी पते के साथ बनाया गया था।
पाकिस्तानी रेंजर व आइएसआइ के सदस्य भी कोलकाता में हो चुके हैं गिरफ्तार
2009 में कोलकाता पुलिस ने पाकिस्तान रेंजर के सदस्य शाहबाज इस्माइल को कोलकाता के फेयरली प्लेस से तथा 2015 में महानगर के जोड़ासांको से पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी (आइएसआइ) के सदस्य अख्तर खान को गिरफ्तार किया था। एक खुफिया अधिकारी के अनुसार इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक सदस्यों में से एक यासीन भटकल एक बार कोलकाता में झूठे नाम से छिपा हुआ था। मामूली चोरी के आरोप में गिरफ्तार होने और जमानत पर फरार होने के कुछ साल बाद यह पता चला कि अपराधी वास्तव में यासीन था।