'अपने' ही उठा रहे ममता के रवैए पर सवाल
-मुख्यमंत्री के भतीजे आबेश जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में रैली में हुए शामिल -ममता के भरोसेमंद
-मुख्यमंत्री के भतीजे आबेश जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में रैली में हुए शामिल
-ममता के भरोसेमंद मंत्री फिरहाद हकीम की बेटी भी बुलंद कर चुकी है आवाज
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जागरण संवाददाता, कोलकाता : अस्पतालों में सुरक्षा की मांग पर आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टरों को 'बाहरी' कहने वालीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को शायद ही इस बात का अंदाजा था कि इसमें उनके कुछ 'अपने लोग' भी शामिल हैं। ममता के भाई कार्तिक के बेटे आबेश भी इन्हीं में से एक हैं। वहीं ममता के बेहद करीबी माने जाने वाले राज्य के शहरी विकास मंत्री एवं कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम की बेटी शाब्बा हकीम पहले ही जूनियर डाक्टरों के समर्थन में आवाज बुलंद कर चुकी हैं। आबेश भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हैं। आबेश, जो एक मेडिकल छात्र और केपीसी मेडिकल कॉलेज स्टूडेट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, जादवपुर स्थित केपीसी मेडिकल कालेज अस्पताल से नीलरतन सरकार मेडिकल कॉलेज अस्पताल तक निकाली गई रैली में शामिल हुए थे। उन्होंने हाथों में एक बैनर लिया हुआ था, जिसमें लिखा था-'आप कहते हैं कि हम भगवान हैं!!! हमारे साथ कुत्तों की तरह बर्ताव क्यों कर रहे हैं? डाक्टरों के खिलाफ हिसा बंद कीजिए। केपीसीएमसीएच एनआरएस के साथ है।' प्राप्त जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री के भतीजे आबेश अंतिम वर्ष का छात्र हैं और इस साल दिसंबर में वह इंटर्नशिप बैच में होंगे। उन्होंने केपीसी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 2014 में दाखिला लिया था और वहां स्टूडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष बन गए। आबेश के विरोध का वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। वहीं शाब्बा ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है-'जिन लोगों को नहीं पता, उन लोगों को बताना चाहूंगी कि सरकारी एवं निजी अस्पतालों के डॉक्टर ओपीडी का बहिष्कार कर रहे हैं लेकिन इमरजेंसी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। दूसरे पेशों की तरह हम काम नहीं करने का फैसला नहीं कर सकते क्योंकि हमारे अंदर मानवता है। अगर बस या टैक्सी हड़ताल होती तो एक भी बस या टैक्सी चालक सेवा प्रदान नहीं करता है, भले कैसे भी हालात क्यों न हों। जो लोग कह रहे हैं कि अन्य मरीजों का क्या दोष है, उन्हें सरकार से सवाल करना चाहिए कि सरकारी अस्पतालों में तैनात पुलिसकर्मी डॉक्टरों को बचाने के लिए क्यों कुछ नहीं करते। हमें शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का हक है। हमें कार्यस्थल पर सुरक्षा पाने का हक है। तृणमूल समर्थक के तौर पर हमारी पार्टी के नेताओं की निष्क्रियता को लेकर मैं काफी शर्मिंदा हूं। डाक्टर संकट की घड़ी में आपकी देखभाल करते हैं। आपको भी हमारे साथ रहना चाहिए।'
वहीं एक तृणमूल पार्षद के बेटे ने भी इस मामले से प्रभावी तरीके से निपटने में ममता सरकार की विफलता पर क्षोभ जताया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस मामले पर पार्टी सदस्यों, पार्टी नेताओं के बच्चों एवं खुद ममता बनर्जी के परिवार के सदस्यों में पनप रहे रोष से मुख्यमंत्री व पार्टी सुप्रीमो पर दबाव काफी बढ़ गया है।
इस बीच टॉलीवुड अभिनेता व घाटाल से सांसद देव ने ट्वीट किया है-'जो हमारी जान बचाते हैं, वे हिसा के शिकार क्यों होंगे? भला कैसे कोई उनके साथ बदसलूकी व उन्हें मारपीट सकता है? उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है।' देव ने आगे लिखा है-'लाखों की तादाद में बेहाल मरीज व उनके परिजन आशा भरी नजर से आपकी ओर देख रहे हैं। वे असहाय हैं। उन्हें आपकी जरूरत है। सबकी सद्बुद्धि की कामना करता हूं। इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए।' बारासात से तृणमूल सांसद काकोली घोष दस्तीदार के बेटे ने भी जूनियर डॉक्टरों के साथ हुई बदसलूकी और मारपीट की घटना की निंदा की है। बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजुमदार ने कहा-'मैं ममता बनर्जी का रवैया देखकर स्तब्ध हूं। वह बिल्कुल निरंकुश हैं। अब उनके रूख पर उनकी पार्टी और परिवार के सदस्यों में ही मतभेद है। उनके परिवार के सदस्य सड़क पर उतर रहे हैं तो कुछ सोशल मीडिया पर विरोध जता रहे हैं। वह कह रही हैं कि बाहरी लोग समस्या पैदा कर रहे हैं लेकिन उनके अपने लोग ही इस मसले पर आवाज उठा रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि बंगाल के लोग उन्हें उपयुक्त जवाब देंगे।'