Bengal Saradha Chit Fund: सारधा मामले के दस्तावेज चोरी की जांच करेगी जिला पुलिस, सीबीआइ जांच की मांग खारिज
बंगाल और आसपास के राज्यों में चिटफंड के एक मामले में जांच कर रही सीबीआइ की टीम ने एक निजी कंपनी के चार वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। चिटफंड मामले की जांच सीबीआइ पहले से कर रही है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सारधा चिटफंड मामले से संबंधित दस्तावेज चोरी होने संबंधी जो मामला पूर्व मेदिनीपुर जिले के कांथी थाने में दर्ज किया गया है उसकी जांच जिला पुलिस करेगी। इस मामले में सीबीआइ जांच संबंधी मांग वाली याचिका को बुधवार कलकत्ता हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है।
दरअसल चिटफंड मामले की जांच सीबीआइ पहले से कर रही है। इसी को आधार बनाकर अधिवक्ता अनिंद्य सुंदर दास ने एक जनहित याचिका लगाई थी जिसमें सारधा चिटफंड मामले के दस्तावेजों की जांच कांथी थाने से लेकर सीबीआइ को सौंपने की मांग की गई थी। हालांकि राज्य सरकार ने इसका विरोध किया था। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सौमेंद्र नाथ मुखर्जी ने कोर्ट में बताया कि थाने में चोरी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसकी वजह से ना तो चिटफंड कंपनी और ना ही निवेशक इसमें सीधे तौर पर शामिल हैं। इसीलिए पुलिस जांच में किसी तरह से बाधा नहीं दी जानी चाहिए। बुधवार को इस मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि थाने की जांच जारी रहेगी। सीबीआइ जांच की मांग खारिज की जा रही है।
चिटफंड मामले में सीबीआइ ने चार लोगों को दबोचा
बंगाल और आसपास के राज्यों में चिटफंड के एक मामले में जांच कर रही सीबीआइ की टीम ने एक निजी कंपनी के चार वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। एजेंसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरके गौड़ ने बुधवार को बताया कि कोलकाता में कंपनियों के एक पूर्व डिप्टी रजिस्ट्रार और तीन अन्य को चिटफंड घोटाले की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार लोगों में एक संस्थापक निदेशक और निजी कंपनियों के दो क्षेत्रीय प्रबंधक शामिल हैं।
एजेंसी ने कहा कि उसने कोलकाता में कंपनियों के तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रार सुभा कुमार बनर्जी, एक कंपनी के तत्कालीन संस्थापक निदेशक लक्ष्मण श्रीनिवासन और दो अन्य को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि ओडिशा में लोगों को लुभाने के लिए 565 करोड़ रुपये की जमा राशि अवैध रूप से जमा की गई थी, उच्च रिटर्न का वादा किया गया था, लेकिन परिपक्वता राशि का भुगतान नहीं किया गया था। इन सभी के संबंध कोलकाता से हैं और यहां आराम से छिपकर रह रहे थे। इन्होंने ना केवल ओडिशा बल्कि पश्चिम बंगाल, झारखंड और आसपास के राज्यों में भी अपने चिटफंड के जाल फैलाए थे। इन से पूछताछ की जा रही है।