West Bengal : आइआइटी खड़गपुर के निदेशक ने कहा-तकनीकी शिक्षा में क्षेत्रीय भाषा नीति की जरूरत
मानव मस्तिष्क उस भाषा में संचार को ज्यादा ग्रहण करता है जिसे वह बचपन से जानता है। आइआइटी खड़गपुर में गुजारे गए उनके चार दशक के समय में पहले छात्र के रूप में और फिर शिक्षक के रूप में पूरा पठन-पाठन अंग्रेजी में हुआ।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। आइआइटी खड़गपुर के निदेशक प्रोफेसर वीके तिवारी ने कहा कि न केवल स्कूलों में क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा की नीति तय की जाए बल्कि तकनीकी संस्थानों में भी यह नीति विकसित की जाए, ताकि सीखने में भाषा बाधा नहीं बने। तिवारी ने तकनीकी शिक्षा में क्षेत्रीय भाषा को अपनाने को ‘आवश्यक दीर्घावधि लक्ष्य’ बताया।
उन्होंने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर इस बारे में शिक्षा मंत्रालय के निर्णय की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि मानव मस्तिष्क उस भाषा में संचार को ज्यादा ग्रहण करता है जिसे वह बचपन से जानता है। उन्होंने कहा कि आइआइटी खड़गपुर में गुजारे गए उनके चार दशक के समय में पहले छात्र के रूप में और फिर शिक्षक के रूप में पूरा पठन-पाठन अंग्रेजी में हुआ। उन्होंने कहा कि छात्रों को जब क्षेत्रीय भाषा और विशेष रूप मातृभाषा में पढ़ाया जाता है तो उनके लिए सीखना काफी आसान हो जाता है।
गौरतलब है कि आइआइटी खड़गपुर ने अकादमिक अनुसंधानों को औद्योगिक रूप से बढ़ाए जा सकने वाले उत्पादों व प्रक्रियाओं में रूपांतरित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) और मशीन लॄनग (एमएल) पर आधारित प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र की स्थापना की है। एआइ और एमएल पर दशकों से शोध होता आ रहा है लेकिन इनमें से अधिकतर साफ्टवेयर तक सीमित हैं और इनमें उपभोक्ता सामग्रियां व दैनिक उपयोग के उपकरण कम शामिल हैं।
प्रधान अन्वेषक व आइआइटी खडग़पुर के डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एवं सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन आर्टिफिशियल एक्सीलेंस के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. देवदूत शीट ने कहा-'यह केंद्र देश मे अद्वितीय संस्थान बनकर उभरेगा। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संस्थान को 170 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है। हम मौलिक अनुसंधान कार्यों के लिए कटिबद्ध हैं और उत्पादन बढ़ाने के लिए स्टार्ट अप की सृष्टि को बढ़ावा देना चाहते हैं। यह केंद्र देश के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को और विकसित करेगा।
डिपार्टमेंट आफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. आशीष रंजन होता ने कहा कि ट्रैक्टर और कृषि मशीनें, 3डी प्रिंटिंग तकनीक, संरचनात्मक स्वास्थ्य और सड़क यातायात, अपशिष्ट जल इंजीनियरिंग, ऊर्जा-कुशल भवन, अगली पीढ़ी के वायरलेस संचार, मानव फिजियोलॉजी समेत 32 तकनीकें इस केंद्र में विकसित की जाएंगी। आइआइटी खड़गपुर आइए शिक्षा में अग्रणी है। यह केंद्र बहुआयामी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा।