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RSS: दिलीप घोष के करीबी सुब्रत चट्टोपाध्याय को आरएसएस में मिली बड़ी जिम्मेदारी

West Bengal दिलीप घोष के करीबी पूर्व राज्य भारतीय जनता पार्टी महासचिव (संगठन) सुब्रत चट्टोपाध्याय को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में अहम जिम्मेदारी मिल गई है। उन्हें पश्चिम बंगाल ओडिशा सिक्किम और अंडमान का प्रभारी बनाया गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 07:48 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 07:48 PM (IST)
RSS: दिलीप घोष के करीबी सुब्रत चट्टोपाध्याय को आरएसएस में मिली बड़ी जिम्मेदारी
दिलीप घोष के करीबी सुब्रत चट्टोपाध्याय को आरएसएस में मिली बड़ी जिम्मेदारी। फाइल फोटो

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के करीबी पूर्व राज्य भाजपा महासचिव (संगठन) सुब्रत चट्टोपाध्याय को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में अहम जिम्मेदारी मिली है। सुब्रत चट्टोपध्याय को  पश्चिम बंगाल, ओडिशा, सिक्किम और अंडमान का प्रभारी बनाया गया है। आरएसएस नेता जिष्णु बसु ने शनिवार को सुब्रत की नई जिम्मेदारी की जानकारी दी है। सुब्रत को चट्टोपध्याय को पिछले वर्ष अक्टूबर के अंत में राज्य भाजपा महासचिव (संगठन) के पद से हटा दिया गया था। उनकी जगह अमिताभ चक्रवर्ती को नया पदभार दिया गया है। आरएसएस के सूत्रों के मुताबिक, संघ ने तब सुब्रत को सीमा सुरक्षा मंच का प्रभार संभालने के लिए कहा था, लेकिन सुब्रत नहीं माने। उसके बाद इतने लंबे समय तक सुब्रत भाजपा और संघ दोनों में निष्क्रिय रहे।

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राजनीतिक खेमे के एक वर्ग के मुताबिक, सुब्रत के भाजपा के अखिल भारतीय सह अध्यक्ष दिलीप के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। नतीजतन, सुब्रत के नई जिम्मेदारी संभालने के साथ राज्य भाजपा के भीतर सत्ता संतुलन में दिलीप का प्रभाव बढ़ सकता है। सुकांत मजूमदार के भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी राज्य में कोई नई कमेटी नहीं बनी है। कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों की राय है कि संघ में सुब्रत की शक्ति बढ़ने से उस प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है। गौरतलब है कि भाजपा के वर्तमान और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुकांत और दिलीप अब एक साथ जिले का दौरा कर रहे हैं, जो प्रदेश पार्टी में एक अभूतपूर्व मिसाल है। क्योंकि अमिताभ से उनकी दूरियां थीं। विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद प्रदीप जोशी को आरएसएस के पूर्वी क्षेत्र के प्रचारक के पद से हटा दिया गया और रामपद पाल को वहां लाया गया। गौरतलब है कि अमिताभ के प्रदीप के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। इधर, अब सुब्रत की नई जिम्मेदारी पर सबकी निगाहें टिकी हैं, क्योंकि काफी समय बाद उन्हें यह जिम्मेदारी मिली है।


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