Lockdown Effect: लॉकडाउन में ढील के बाद भी हाईकोर्ट में कामकाज सामान्य नहीं, बदल रहे हैं कई नियम
हालांकि लॉकडाउन में थोड़ी ढील दी गई है लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट का कामकाज पूरी तरह से सामान्य नहीं हो सका है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: हालांकि लॉकडाउन में थोड़ी ढील दी गई है, लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट का कामकाज पूरी तरह से सामान्य नहीं हो सका है। यह हाईकोर्ट के सूत्रों से पता चला है। लॉकडाउन के अगले चरण के शुरू होने से पहले ही परिवहन और ट्रेन सेवाएं नियंत्रित रूप से शुरू हुई है। परंतु, नियम सख्त है। इन सबके बीच हाईकोर्ट में भी कामकाज स्वाविक रूप से होने में अभी और वक्त लग सकता है।
सूत्रों के मुताबिक कई नए नियम बनाए गए हैं। जैसे कि शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए काम के अलावे किसी अन्य व्यक्ति को अदालत में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। हाईकोर्ट के अंदर जनता का अनावश्यक प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा। यहां तक कि वादी भी यदि चाहें तो सुनवाई में शामिल नहीं हो सकते। यदि उन्हें अदालत में पेश होना है तो ही उन्हें प्रवेश की अनुमति होगी।
वहीं और जैसे ही काम पूरा हो जाता है, आपको तुरंत हाईकोर्ट परिसर छोड़ना होगा। इसके अलावा उच्च न्यायालय के केवल दो द्वार (गेट्स-ई और बी) वादी और वकीलों के प्रवेश के लिए खुले रहेंगे जब तक कि कोरोना भय पूरी तरह से सामान्य नहीं हो जाता। इसके अलावा उच्च न्यायालय की सभी पीठ लॉकडाउन के अगले चरण में हमेशा की तरह एक साथ काम नहीं करेंगे। कहा जाता है कि पीठ प्रत्येक सप्ताह भागों में काम करती है। न्यायाधीशों के अलावे कोर्ट में तीन अदालत कर्मचारी उपस्थित रहेंगे।
सूत्रों ने यह भी कहा कि छह से अधिक वकील अदालत कक्ष में उपस्थित नहीं हो सकते हैं। यदि किसी मामले में छह से अधिक वकीलों की उपस्थिति की आवश्यकता होती है, तो मामला स्थगित कर दिया जाएगा। कलकत्ता उच्च न्यायालय के बड़े कक्ष में, उसमें न्यायाधीशों और कर्मचारियों को छोड़कर, अधिकतम छह लोग मौजूद रह सकेंगे। इसके अलावा अदालत के गलियारे में इकट्ठा होना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा।