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डेंगू से मौत को लेकर सरकार व विपक्ष आमने-सामने

बंगाल में डेंगू से मौतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 06:54 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 06:54 PM (IST)
डेंगू से मौत को लेकर सरकार व विपक्ष आमने-सामने
डेंगू से मौत को लेकर सरकार व विपक्ष आमने-सामने

राज्य सरकार ने डेंगू की रोकथाम के लिए कई बड़े कदम उठाए : फिरहाद

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-सरकार अपनी विफलता छिपाने के लिए मरने वालों का आकड़ा दबा रही : सिन्हा

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जागरण संवाददाता, कोलकाता : बंगाल में डेंगू से मौतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पिछले सप्ताह ही जादवपुर में दिशा बर्मन और विनोद चौधरी नामक दो लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद शनिवार को भी उत्तर 24 परगना जिले के भाटपाड़ा में रहने वाले 11वीं के छात्र अभिषेक की मौत कोलकाता के एक अस्पताल में डेंगू की वजह से हो गई है। इसके बाद डेंगू से होने वाली मौत को लेकर आकड़े छिपाने का आरोप विपक्ष ने राज्य सरकार पर लगाया है। रविवार को इस बारे में पूछने पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि डेंगू से रोज ही लोग मर रहे हैं। पश्चिम बंगाल सरकार अपनी विफलता को छिपाने के लिए मरने वालों का आकड़ा भी दबा रही है। पूरे राज्य में गंदगी की वजह से मच्छरों का अंबार लग रहा है। एक के बाद एक लोग डेंगू की वजह से मौत के मुंह में समाते जा रहे हैं। कायदे से राज्य सरकार को चाहिए कि युद्ध स्तर पर डेंगू का मुकाबला किया जाए। इसके लिए स्वास्थ्य व्यवस्था, सफाई, गंदगी का निपटान एवं स्वयंसेवी संस्थाओं समेत राज्यभर में आम लोगों को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ भी करने के बजाय राज्य सरकार सिर्फ मरने वालों का आकड़ा छिपा रही है। डेंगू की रोकथाम के लिए कुछ भी नहीं कर रही है। यह संवेदनहीन सरकार है और लोग समय जरूर इसका जवाब देंगे। इसी तरह विधानसभा में माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने भी बंगाल सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि दुर्गापूजा से पहले विपक्षी विधायकों की ओर से मुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री ममता बनर्जी को कई चिट्टिया दी गई थीं ताकि डेंगू से संबंधित आकड़ों का खुलासा हो। इसकी रोकथाम के लिए बंगाल सरकार ने क्या कदम उठाया है, यह बताया जाए और डेंगू की रोकथाम के प्रति सामाजिक तौर पर राज्य सरकार क्या कुछ कर रही है, यह बताए, लेकिन न तो चिट्ठियों का जवाब दिया गया और न ही सरकार को इससे कोई मतलब है कि लोग मर रहे हैं। विधानसभा के मानसून सत्र में माकपा और अन्य विपक्षी विधायकों ने डेंगू पर परिचर्चा के लिए नोटिस दिया था लेकिन उस पर चर्चा से ही सरकार ने इन्कार कर दिया। आज आलम यह है कि कोलकाता में लोग इसकी चपेट में आने से रोज मर रहे हैं। राज्य के अन्य हिस्सों की तो बात ही छोड़ दीजिए। राज्य सरकार इन लोगों के लिए कोई चिकित्सा व्यवस्था करने के बजाय मौत का आकड़ा दबाने में जुटी है। सुजन ने आरोप लगाया कि बंगाल सरकार डेंगू को वर्षों से अज्ञात बुखार बता रही है। इससे चिकित्सकों पर भी दबाव है और वह डेंगू को डेंगू नहीं लिख पा रहे हैं। बुखार होने के बाद लोग मरते जा रहे हैं। हालाकि, इस बारे में जब राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम से बात की गई, तो उन्होंने कुछ अलग ही दावा किया। हकीम ने कहा कि बंगाल सरकार मौत का कोई आकड़ा नहीं छिपा रही है। इस साल हमलोगों ने डेंगू की रोकथाम के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। इसका लाभ भी हुआ है और डेंगू से मरने वालों की संख्या घटी है। हालाकि, वास्तविक आकड़ा बताने से उन्होंने भी इन्कार कर दिया। राज्य में डेंगू का प्रकोप बढ़ने को लेकर फिरहाद हकीम ने दावा किया कि यह ऐसा मौसम है, जब लोग घूमने के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं। अब कौन कहा जा रहा है, वहा से कौन सी बीमारी से पीड़ित होकर आ रहा है, इसे लेकर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता है। गौरतलब है कि पिछले साल डेंगू से 100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी लेकिन राज्य सरकार ने आधिकारिक तौर पर केवल 47 लोगों की मौत की पुष्टि की थी। इस साल भी प्रति महीने कमोबेश 10 से अधिक लोगों की मौत का मामला प्रकाश में आया है। प्रत्येक मामले में अस्पताल की ओर से मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत की वजह के रूप में डेंगू का उल्लेख किया गया है लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इसे मानने से इन्कार कर दिया है। डेंगू से मरने वालों का कोई भी आकड़ा जारी नहीं किया गया है।


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