Move to Jagran APP

West Bengal: कोलकाता के निजी अस्पतालों में कोरोना परीक्षण की संख्या में आई गिरावट

विशेषज्ञों और अस्पतालों की मानें तो युवा रोगियों ने एहतियाती तौर पर होम क्वारंटाइन रहना शुरू कर दिया है। अस्पताल की पॉजिटिव दर में 32 फीसद से 28 फीसद तक की गिरावट देखी गई है। यहां जांच के बाद सैंपल की संख्या में भारी गिरावट आई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 08:24 AM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 08:24 AM (IST)
West Bengal: कोलकाता के निजी अस्पतालों में कोरोना परीक्षण की संख्या में आई गिरावट
कोरोना टेस्ट के बजाय होम क्वारंटाइन में जा रहे युवा

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। पिछले एक सप्ताह में कोलकाता के प्रमुख निजी अस्पतालों में कोविड परीक्षणों की संख्या में तेजी से कमी आई है। कम से कम दो अस्पतालों ने लगभग 50 फीसद कमी देखी है, जबकि एक अन्य निजी लैब में टेस्टिंग में कमी लगभग 30 फीसद है। 

loksabha election banner

दूसरी तरफ कोरोना वायरस के प्रभावितों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। विशेषज्ञों और अस्पतालों की मानें तो युवा रोगियों ने एहतियाती तौर पर होम क्वारंटाइन रहना शुरू कर दिया है। साथ ही बड़ी संख्या में ऐसे वर्ग ने कोविड टेस्टिंग बंद कर दिया है।

अस्पतालों ने लगभग 50 फीसद कमी देखी, टेस्ट के बजाय होम क्वारंटाइन में जा रहे युवा

मुकुंदपुर स्थित निजी हॉस्पिटल में जहां कि अक्टूबर के अंत तक रोजाना औसतन लगभग 170 सैंपल का परीक्षण हो रहा था, हाल ही में केवल 81 टेस्ट किए गए थे। एक दिन पहले यह संख्या 89 से अधिक थी। अस्पताल की पॉजिटिव दर में 32 फीसद से 28 फीसद तक की गिरावट देखी गई है। यहां जांच के बाद सैंपल की संख्या में भारी गिरावट आई है। आइएमए उत्तर कोलकाता के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ पीके नेमानी ने कहा कि एक कारण यह हो सकता है कि युवा रोगी परीक्षणों से बच रहे हैं। साथ ही वह होम क्वारंटाइन में चले जा रहे हैं। समय के साथ, बीमारी का डर भी कम हो गया है। आमरी हॉस्पिटल्स के ढाकुरिया और मुकुंदपुर इकाइयों में भी पिछले 10 दिनों से एक दिन में परीक्षणों की संख्या 400 से लगभग 350 से 360 हो गई है।

लोग कोविड के बारे में अधिक आश्वस्त हो गए हैं

पूजा के बाद रुझान बदल गया है। अब ज्यादातर बुजुर्ग और सह-रुग्ण परीक्षण किए जा रहे हैं। आमरी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के सीईओ रूपक बरुआ ने कहा कि अब लोग कोविड के बारे में अधिक आश्वस्त हो गए हैं, जबकि पहले हर संदिग्ध का परीक्षण होता था, साथ ही अस्पताल में भर्ती कराया जाता था। मेडिका सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में भी टेस्टिंग में कमी लगभग 30 फीसद हो गयी है, जो कि कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से कभी नहीं देखा गया था। मेडिका रोगियों के घरों से एक दिन में लगभग 100 सैंपल एकत्र करता है। पिछले 8-10 दिनों में दैनिक परीक्षणों की संख्या घट गई है।

मेडिका सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल समूह के चेयरमैन डॉ. आलोक राय ने कहा कि जैसे-जैसे दिन बीतेंगे लोग संभव है कि परीक्षणों से बचेंगे, जब तक कि लक्षण गंभीर न हों। यह एक स्वाभाविक प्रगति है। आरएन टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियाक साइंसेज के जोनल निदेशक आर. वेंकटेश ने कहा कि हम प्रति दिन लगभग 210-220 परीक्षण करते थे, जबकि पिछले दो दिनों में हमने लगभग 150-160 परीक्षण किए हैं।” पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राजा धर ने कहा कि टेस्ट में कमी आश्चर्य की बात नहीं है। कोरोना महामारी अब आठ महीने की हो चुकी है और लोगों ने महसूस किया है कि कोविड का मामूली लक्षण घातक नहीं है। चूंकि परीक्षण या अस्पताल में भर्ती करना अनिवार्य नहीं है, इसलिए युवा वर्ग संभव है कि होम क्वारंटाइन को प्राथमिकता दे रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.