Cyclone Amphan: 'जब तक चक्रवात पूरी तरह गुजर न जाए नहीं निकले घरों से बाहर, घबराए नहीं सावधानी बरतें'
Cyclone Amphan एनडीआरएफ के पूर्व अधिकारी ने भीषण चक्रवात एम्फन से बचने के बताए उपाय।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोरोना संकट के बीच अत्यंत प्रचंड चक्रवाती तूफान 'एम्फन' आज (बुधवार) दोपहर या शाम में बंगाल के सुंदरवन के पास दीघा व बांग्लादेश के हतिया द्वीप से टकराने वाला है। इस दौरान 155-165 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी जो 185 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ सकती है।
मौसम विभाग ने बंगाल के लिए पहले ही ‘ऑरेंज’ चेतावनी जारी की है और इस चक्रवात से खासकर तटवर्ती दक्षिण व उत्तर 24 परगना, कोलकाता, पूर्वी मेदिनीपुर, हावड़ा व हुगली जिलों में व्यापक स्तर पर तबाही होने की आशंका जताई है। कहा जा रहा है कि एम्फन चक्रवात 2009 में बंगाल और बांग्लादेश में भारी तबाही मचाने वाले आइला से भी प्रचंड रूप में है।
एम्फन के प्रभाव से मंगलवार से ही बंगाल के विभिन्न जिलों में भारी बारिश और तेज हवाएं चल रही है। ऐसे में इस चक्रवात को लेकर लोगों में खौफ का माहौल है। हालांकि इससे निपटने के लिए एनडीआरएफ से लेकर नौसेना, कोस्ट गार्ड, राज्य सरकार की सभी एजेंसियां पूरी तरह अलर्ट है और सभी एहतियाती उपाय किए गए हैं। राज्य सरकार ने जोखिम वाले स्थानों से 3 लाख लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया है।
इधर, प्रचंड चक्रवात (सुपर साइक्लोन) से बचने के लिए ऐसे मौकों पर लोगों को क्या-क्या हिदायतें बरतनी चाहिए इस बारे में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके व वर्तमान में कोलकाता में बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआइजी एसएस गुलेरिया से बात करने पर उन्होंने बताया कि इससे घबराने नहीं बल्कि सावधानी बरतने से बचा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जब तक चक्रवात पूरी तरह गुजर ना जाए तब तक लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकलें, क्योंकि कई बार यह बैक फायर भी करता है और जान- माल की भयानक हानि पहुंचा जाता है। इसलिए जब तक आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं हो जाए कोई अपने घर से बाहर ना निकलें। एनडीआरएफ में 9 वर्षों तक सेवा दे चुके गुलेरिया को इससे पहले के चक्रवात फाईलिन तथा हुदहुद में काम करने का अनुभव प्राप्त है।
गुलेरिया को एनडीआरएफ की हरिनघाटा (बंगाल) तथा पटना (बिहार) की दो बटालियन को खड़ा करने का भी श्रेय है। इन्होंने एनडीआरएफ मुख्यालय में उपमहानिरीक्षक (प्रशिक्षण) तथा उपमहानिरीक्षक (ऑपरेशन) के पद पर भी कार्य कर चुके हैं और देश-विदेश में आपदा से संबंधित कई ट्रेनिंग व कोर्स किए हैं। उन्होंने बताया कि चक्रवात के दौरान किसी को जान- माल की हानि न पहुंचे इसके लिए ये एहतियात बरतना जरूरी है :
1. सभी लोगों को मौसम विभाग, राज्य आपदा प्रबंधन तथा जिला स्तरीय आपदा प्रबंधन विभाग की हिदायतों को ध्यान से सुनना तथा इसका पालन करना।
2. चक्रवात एम्फन के आने से पहले पक्के घरों/ इमारतों में सभी को अपने आप को बंद कर लेना। याद रहे जिनके घर पक्के व सुरक्षित हैं वही अपने घरों पर रहे तथा जिनके घर कच्चे तथा टिन या घास- फूस के बने हैं उनको पक्की इमारतों में जैसे स्कूल, शेल्टर होम, मंदिर आदि जगहों में शरण लेना होगा।
3. घरों के दरवाजे तथा खिड़कियां पूर्णतया बंद कर लें ताकि उनमें हवा न घुसे।
4. बिजली तथा टेलीफोन के खंभों के पास खड़ा न रहें।
5. कोई बड़े पेड़ के नीचे तथा खुले मैदान में खड़ा ना हों।
6. जब तक चक्रवात पूर्णतया गुजर ना जाए कोई अपने घर से बाहर ना निकलें। कई बार जब चक्रवात प्रभावित इलाकों से गुजर रहा होता है तो चक्रवात की आंख जब प्रभावित इलाके से गुजरती है तो वातावरण एकदम से शांत हो जाता है तथा लोगों में धोखा हो जाता है कि चक्रवात गुजर गया और लोग घरों से निकलकर अपनी दिनचर्या का काम शुरू कर देते हैं लेकिन तभी चक्रवात के पिछले हिस्से पूरे बेग से आता है तथा जान-माल की भयानक हानि पहुंचा जाता है। इसलिए लोगों को यह सलाह है कि जब तक आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं हो जाती कोई अपने घर से बाहर ना निकलें।
7. यह तथ्य है कि चक्रवात के समय सबसे ज्यादा मौतें फ्लाइंग ऑब्जेक्टस यानी उड़ने वाली वस्तुओं से होती है, जैसे की टिन शीट्स तथा अन्य लोहे की चदरें इत्यादि। इसलिए चक्रवात के समय बिल्कुल भी बाहर में नहीं रहे।
8. घबराए नहीं बल्कि सावधानी से इस विनाशकारी चक्रवात का मुकाबला कर सकते हैं।