Coronavirus: साइबर जालसाजों ने कोरोना को बनाया हथियार, डाटा हैक कर बिटकॉइन में मांग रहे रंगदारी
ई-मेल व सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए कोरोना से बचाव व उसके बारे में जानकारी देने का झांसा देकर साइबर जालसाज लोगों को शिकार बना रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोरोना के कहर के बीच साइबर अपराधी अब इसे जालसाजी का हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। ई-मेल व सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए कोरोना से बचाव व उसके बारे में जानकारी देने का झांसा देकर साइबर जालसाज लोगों को शिकार बना रहे हैं। वह इंटरनेट यूजर को लिंक भेज रहे हैं जिसे ओपन करते ही रैनसमवेयर वायरस के हमले से लोगों का कंप्यूटर हैक होने के साथ पर्सनल डाटा चोरी हो जाता है। फिर डाटा रिस्टोर करने के नाम पर बिटकॉइन में फिरौती मांग रहे हैं।
कोलकाता में ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें कम से कम दो पेशेवर लोग रैनसमवेयर हमले का शिकार हुए हैं। साइबर अपराधियों ने चोरी हुए डाटा को अपने कब्जे से मुक्त करने के लिए उनसे बिटकॉइन में भुगतान की मांग की। इस मामले के सामने आने के बाद कोलकाता पुलिस की भी चिंताएं बढ़ गई है। कोलकाता पुलिस के लालबाजार मुख्यालय को मिली दोनों शिकायतें लोकप्रिय 'जूम' के उपयोगकर्ताओं ने की हैं। दरअसल, जूम ऐप घर पर काम करते हुए डिजिटल तरीके से एक साथ कई लोगों के संग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठकें आदि का एक लोकप्रिय मंच है, जिसके इस्तेमाल के बारे में विशेषज्ञों ने सुरक्षा चिंताओं को उठाया है। पिछले हफ्ते, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस ऐप के इस्तेमाल को लेकर लोगों को सावधान करते हुए सतर्कता परामर्श जारी किया था। गूगल ने भी हाल ही में इसे प्रतिबंधित किया है।
इधर, दोनों शिकायतकर्ताओं ने पुलिस को बताया कि हैकर्स ने उनके कंप्यूटर पर संग्रहित व्यवसाय से जुड़े महत्वपूर्ण व संवेदनशील फाइलों व जानकारी को हैक किया था और इसको रिस्टोर के बदले बिटकॉइन में फिरौती की मांग कर रहे थे। पीड़ितों को बिटकॉइन खरीदने के लिए ई-मेल के जरिए लिंक भी भेजा गया। इस ईमेल में ऐसा नहीं करने पर डाटा का स्थाई नुकसान के लिए कड़ी चेतावनी भी दी गई थी।
शिकायतकर्ताओं में से एक ने पुलिस को बताया कि हैकर्स ने उसकी फ़ाइलों को रिस्टोर करने के लिए बिटकॉइन में 1,000 डॉलर की मांग की थी। इधर, शिकायत के बाद कोलकाता पुलिस के एसटीएफ के साथ साइबर क्राइम सेल ने जांच शुरू कर दी है। जांच से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हम इस बात का भी पता लगा रहे हैं कि क्या ज़ूम एप्लीकेशन और हैकर्स के बीच कोई साठगांठ तो नहीं है। एक अन्य अधिकारी, जो जांच का हिस्सा हैं, ने कहा कि उन्हें हमलों के पीछे संगठित अपराध सिंडिकेट्स पर संदेह है, जो कि लॉकडाउन में अपने घरों में रहने को मजबूर अधिक से अधिक लोगों को शिकार बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि साइबर अपराधी संवेदनशील कंप्यूटर सिस्टम की पहचान करते हैं और संवेदनशील फ़ाइलों को लक्षित करने के लिए रैसमवेयर का उपयोग करते हैं। उनके मुताबिक, ऐसा नहीं लगता कि पूरा डेटा हैक किया जा सकता है। लेकिन पीड़ित को ब्लैकमेल करने के लिए छोटा भी डाटा हैक होना काफी है और साइबर अपराधी अपने मंसूबे में सफल हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले कोलकाता से रैनसमवेयर के हमले शायद ही कभी हुए हों। हालांकि एक प्रमुख टॉलीवुड अभिनेता की कंपनी पर एक बार कुछ समय पहले हमला किया गया था। अधिकारी ने कहा कि हालांकि ऐसे साइबर हमले कई देशों में काफी प्रचलित हैं। जांच टीम सभी एंगल से इसकी पड़ताल कर साजिशकर्ताओं तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है।