सुंदरवन में चार साल बाद फिर शुरू हुई बाघों की गणना, घने जंगलों में जाकर जगह-जगह कैमरे लगा रहे वनकर्मी
दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव फारेस्ट सुंदरवन में चार साल बाद फिर से बाघों की गणना शुरू हुई है। इस बाबत वनकर्मी घने जंगलों में जाकर जगह-जगह कैमरे लगा रहे हैं। आटोमैटिक इन कैमरों से एक महीने तक बाघों की तस्वीरें खींची जाएंगी
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव फारेस्ट सुंदरवन में चार साल बाद फिर से बाघों की गणना शुरू हुई है। इस बाबत वनकर्मी घने जंगलों में जाकर जगह-जगह कैमरे लगा रहे हैं। आटोमैटिक इन कैमरों से एक महीने तक बाघों की तस्वीरें खींची जाएंगी और उनके आधार पर उनकी वर्तमान आबादी का पता लगाया जाएगा। गौरतलब है कि बाघों की गणना का काम पहले पांच दिसंबर से शुरू होने की बात थी लेकिन चक्रवात 'जवाद का सुंदरवन पर असर पडऩे की आशंका को देखते हुए इसे स्थगित कर दिया गया था।
मंगलवार यानी सात दिसंबर से इसे आरंभ किया गया है। वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तीन चरणों में बाघों की गणना की जाएगी। वन विभाग के कर्मी नावों से नदी किनारे उन इलाकों में जाकर बाघों के पैरों की छाप लेंगे, जहां वे अक्सर पानी पीने आते हैं। घने जंगलों में जाकर कैमरे लगाने के लिए 10 विशेष टीमें गठित की गई हैं। प्रत्येक टीम में 12 से 15 वनकर्मी हैं।
कुल मिलाकर करीब 500 वनकर्मियों को बाघों की गणना के काम में लगाया गया है। सूत्रों से पता चला है कि कुल 745 जगहों पर कैमरे लगाए जा रहे हैं। पिछली गणना में सुंदरवन में 96 बाघों का पता चला था। सुंदरवन में पिछले कुछ समय में जिस तरह से इंसानों पर बाघों के हमले की घटनाएं हुई हैं, उससे उनकी संख्या में इजाफे की उम्मीद की जा रही है। गौरतलब है कि सुंदरवन अपने रायल बंगाल टाइगर के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है। कोरोना महामारी से पहले तक सालभर बड़ी संख्या में लोग यहां रायल बंगाल टाइगर देखने आते थे।