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Coronavirus के बढ़ते मामलों को देखते हुए भी बंगाल में मतदान के चरणों में नहीं होगा कोई बदलाव : आयोग

जिस रफ्तार से बंगाल में कोरोना महामारी फैल रहा है वह चिंता बढ़ाने वाला है। स्थिति दिन-प्रति-दिन गंभीर होती जा रही है। क्योंकि सियासी दलों के चुनाव प्रचार में भारी भीड़ जुट रही है जिसके चलते कोरोना वायरस और तेजी से फैल रहा है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 07:35 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 07:25 AM (IST)
Coronavirus के बढ़ते मामलों को देखते हुए भी बंगाल में मतदान के चरणों में नहीं होगा कोई बदलाव : आयोग
बंगाल में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल विधानसभा चुनाव में बचे हुए आखिरी के चार चरणों को एक साथ कराने की अटकलों को निर्वाचन आयोग ने खारिज कर दिया है। चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा कि बंगाल में बचे हुए आखिरी के चार चरणों के चुनाव को एक साथ कराने की कोई योजना नहीं है। देशभर में कोरोना महामारी के बढ़ते केसों को देखते हुए ऐसी चर्चा थी कि बंगाल में बचे हुए चुनाव को एक साथ कराया जा सकता है।

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दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट में ये खबरें सामने आई कि मतदान के बचे हुए चरणों को एक ही चरण में करवाने की योजना चल रही है। देश में कोरोना के मामलों में बेतहाशा वृद्धि और रोजाना हजारों मौत के बाद पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावी रैलियों पर भी सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा लगातार सवाल उठाए जाने के बाद चुनाव आयोग ने 16 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

इस बैठक में सभी राजनीतिक पार्टियों से चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया जा सकता है। इसके साथ-साथ इस बैठक में वर्चुअल चुनाव प्रचार पर भी चर्चा होने की संभावना है। हालांकि, चुनाव आयोग की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी सामने नहीं आई है।

पांचवें चरण के लिए शनिवार को मतदान होना है और चुनाव प्रचार थम चुका है। इसके बाद 114 सीटों के लिए 22, 26 और 29 अप्रैल को मतदान होना है। आयोग के पास विकल्प अधिक कुछ बच नहीं रहा। कलकत्ता हाई कोर्ट ने दो दिन पहले ही चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि चुनावी सभा, जुलूस और रोड शो में पूरी तरह से कोरोना की गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित कराना होगा। ऐसे में हो सकता है कि सामाजिक दूरी मानते हुए मास्क के साथ सभा व रैलियों की इजाजत दी जाए या फिर चुनावी सभाओं, रैलियों व रोड शो, पदयात्रा पर रोक लगा दी जाए।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने सभी जिलों के डीएम को आदेश दिया था कि अगर जरूरत पड़े तो वह धारा 144 भी लगा सकते हैं ताकि लोगों की भीड़ जमा होने से बचा जा सके। क्योंकि, चुनावी रैलियों और रोड शो में लोग न मास्क लगा रहे हैं और न ही शारीरिक दूरी का पालन कर रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि चुनाव आयोग सर्वदलीय बैठक के बाद क्या निर्णय लेता है।


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