Coronavirus effect: कोरोना से जंग के लिए दक्षिण पूर्व रेलवे ने 338 आइसोलेशन कोच किए तैयार
कोरोना से जंग के लिए दक्षिण पूर्व रेलवे ने 338 आइसोलेशन कोच किए तैयार- विभिन्न वर्कशॉप व डिपो में युद्धस्तर पर तैयार किया गया है आइसोलेशन कोच
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। लॉकडाउन के चलते ट्रेनों का संचालन ठप है, ऐसे में रेलवे कोरोना महामारी से जंग के लिए पूरी तैयारी में जुटा है। आपात स्थिति के लिए बहुस्तरीय रणनीति के तहत भारतीय रेलवे ने अपने सभी जोनल रेलवे को नॉन एसी बोगियों को आइसोलेशन कोच में परिवर्तित करने का निर्देश दिया था, ताकि जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके।
इसी कड़ी में दक्षिण पूर्व रेलवे ने युद्धस्तर पर कार्य करते हुए अबतक अपने 338 नॉन एसी स्लीपर व सामान्य द्वितीय श्रेणी के बोगियों को आइसोलेशन कोचों में बदलने का काम पूरा कर लिया है। दक्षिण पूर्व रेलवे की ओर से शनिवार को एक बयान में कहा गया कि रेलवे बोर्ड ने उसको 329 यात्री बोगियों को आइसोलेशन कोचों में बदलने का लक्ष्य दिया था जिसे पार कर अबतक 338 आइसोलेशन कोच तैयार किया जा चुका है।
बताया गया कि दक्षिण पूर्व रेलवे के चिकित्सा विभाग के मार्गदर्शन में खड़गपुर वर्कशॉप, संतरागाछी डिपो, टाटानगर डिपो और हटिया डिपो में यात्री डिब्बों को आइसोलेशन कोचों में बदलने का काम निरंतर जारी है। आइसोलेशन कोचों को डब्ल्यूएचओ के गाइडलाइन के तहत बहुत सावधानीपूर्वक तैयार किया जा रहा है। यानी कोविड-19 रोगियों के लिए आवश्यक सभी सुविधाओं से यह आइसोलेशन कोच लैस है। इसमें डॉक्टर व नर्सेस के रहने के लिए विशेष तरह के चेंबर सहित मेडिकल उपकरणों के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई है।
प्रत्येक परिवर्तित कोच में 9 केबिन हैं। प्रत्येक केबिन में 2 आइसोलेशन बेड की व्यवस्था है। प्रत्येक कोच में एक केबिन का उपयोग डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा किया जाएगा और अन्य 8 केबिन जिसमें प्रत्येक में 2 आइसोलेशन बेड हैं वह रोगियों के लिए होगा। प्रत्येक कोच में मरीज की जरूरत के हिसाब से एक शौचालय को भारतीय शैली के स्नानागार में बदला गया है और प्रत्येक कोच में तीन शौचालय हैं। हर केबिन में दोनों मिडिल बर्थ को हटाया गया है। प्रत्येक कोच में दो ऑक्सीजन सिलेंडर रखने की व्यवस्था भी की गई है जो केबिन के साइड बर्थ पर मौजूद जगह पर लगाए जाएंगे।
हर केबिन में दो बोतल होल्डर और 3 पेग कोट हुक लगाए गए हैं। सभी केबिनों में तीन डस्टबिन (रेड, ब्लू और येलो कलर) की व्यवस्था है जो पैर संचालित ढक्कन से युक्त है। प्रत्येक कोच में उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करने की व्यवस्था के साथ खिड़कियों पर मच्छरदानी लगाई गई है। मोबाइल और लैपटॉप के सभी चार्जिंग पॉइंट को भी कार्यात्मक बनाया गया है।
दक्षिण पूर्व रेलवे का कहना है कि उनके कर्मचारियों ने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा से समझौता किए बिना चौबीसों घंटे युद्धस्तर पर काम करके कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अपनी सामाजिक प्रतिबद्धताओं और जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है।