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Coronavirus Effect: 624 वर्ष प्राचीन बंगाल के माहेश की रथयात्रा पर कोरोना की काली छाया

Mahesh Rath Yatra 624 वर्ष प्राचीन बंगाल के माहेश की रथयात्रा पर कोरोना की काली छाया पुरी की रथ यात्रा के बाद देश में माहेश की रथ यात्रा का ही स्थान आता है

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 08:28 AM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 08:28 AM (IST)
Coronavirus Effect: 624 वर्ष प्राचीन बंगाल के माहेश की रथयात्रा पर कोरोना की काली छाया
Coronavirus Effect: 624 वर्ष प्राचीन बंगाल के माहेश की रथयात्रा पर कोरोना की काली छाया

राज्य ब्यूरो, । वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण इस साल पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के श्रीरामपुर स्थित माहेश की 624 वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकाली जाएगी। शनिवार को मंदिर ट्रस्ट की ओर से इसकी जानकारी दी गई है। इस विषय को लेकर शनिवार को हुगली के जिलाधिकारी वाई रत्नाकर राव की उपस्थिति में एक महत्वपूर्ण बैठक की गई। कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट द्वारा यह फैसला लिए जाने पर जिला प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है।

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मालूम हो कि माहेश के प्राचीन रथ को खींचने के लिए प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा के दिन हजारों की संख्या में लोग यहां उपस्थित हुआ करते हैं। जबकि रथ पूजा के उपलक्ष्य में माहेश इलाके में एक महीने तक मेला का आयोजन किया जाता है। मंदिर के प्रधान पुरोहित सौमेन अधिकारी का कहना है कि पुरी की रथ यात्रा के बाद देश में श्रीरामपुर माहेश की रथयात्रा का स्थान आता।

इस बार 5 जून को भगवान प्रभु जगन्नाथ की स्नान यात्रा है। पहले जगन्नाथ की स्नान यात्रा गंगा में हजारों भक्तों के बीच मनाई जाती थी। लेकिन इस बार प्रभु की स्नान यात्रा मंदिर के अंदर ही आयोजित की जाएगी। जबकि 23 जून को आयोजित होने वाली रथ पूजा माहेश स्थित जगन्नाथ मंदिर प्रांगण में मनेगी।

50 फुट ऊंचाई तथा लगभग 125 टन वजन वाले इस रथ पर भगवान जगन्नाथ, बलराम एवं सुभद्रा विराजमान होकर अपनी मौसी के घर जाया करते हैं। लेकिन इस बार रथयात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर नहीं जा पाएंगे। उन्हें मंदिर में ही अस्थाई रूप से बनाए गए मौसी के घर में ही एक सप्ताह गुजारना पड़ेगा। 


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